Friday, April 28, 2017

गाय के घी के अन्य महत्वपूर्ण उपयोग : fayede dudh ke dahi ke

आयुर्वेद वेदों की शाखा है, जो औषधीय जड़ी बूटियों का उपयोग करके स्वास्थ्य के विभिन्न समग्र पहलुओं के साथ संबंधित है | स्वास्थ्य का मतलब शरीर, मन और आध्यात्म से भी है |

हालांकि गौमूत्र को दवा के रूप में इस्तेमाल करना इसका प्रथम उपयोग है, इसे तीन या अधिक अमेरिकी पेटेंट दिए गए हैं: 5616593, 6410059 और 5972382| यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण सत्य है कि भारत में कई लोगों ने भारतीय चिकित्सा की पारंपरिक प्रणाली में विश्वास खो दिया है, चूँकि अब पश्चिमी वैज्ञानिक समुदाय ने चिकित्सा में गौमूत्र की उपयोगिता को फिर से मानना शुरू किया है, तो अब हमारे देश के कुछ पश्चिम की तरफ देखने वाले लोग अपने स्वयं की चिकित्सा प्रणालियों की प्रभावकारिता पर आश्वस्त हो सकेंगे, व्यापक रूप से इसे स्वीकार करेंगे, इसे इस्तेमाल करेंगे और अपने स्वास्थ्य को सुधारने में इसका लाभ ले सकेंगे| पश्चिमी अनुसंधान से पता चला है कि गोमूत्र एंटीबायोटिक, रोगाणुरोधी, फंगसरोधी और तपेदिक विरोधी है| गौमूत्र अर्क गतिविधि बढ़ाने वाला और संक्रमण-विरोधी और कैंसर-विरोधी होने के साथ-साथ बायोएक्टिव अणुओं की उपलब्धता को सुविधाजनक बनाने वाला सिद्ध हो चुका है|

जालोर तथा बनासकांठा जिलों के गाँवो में तथा गोसेवा आश्रमों में प्रतिवर्श दस से बारह हजार गो वत्सों का पालन पोषण करके तैयार किया जाता है इनको पोष्टिक आहार, हरा-चारा, औषधि,स्नान, प्रेम आदि द्वारा पूर्ण देखभाल की जाती है तथा इनमें से विभिन्न गो प्रजातियों का चयन करके वर्गीकरण होता है। इन वर्गीकृत गो बछड़ियों को संवर्धन हेतु गांवो, घरों तथा आश्रमों में गोधाम महातीर्थ केवल प्रमाणिक सेवा एवं आजीवन संरक्षण की शर्त पर निःशुल्क वितरित करता है।
गो-परिचय
गाय सृष्टि का सर्वोत्तम प्राणी हैं यह बात शास्त्र कहते है तथा गाय की महत्ता,उपादेयता,आवश्यकता आध्यात्मिक,धार्मिक तथा वैज्ञानिक दृष्टि कोण से सर्वविदित है। इस बारे में खूब लिखा और कहा गया है तथा यह जानकारी सब को हैं। यहाँ केवल मैं व्यवहारिक रुप में जो हम प्रतिदिन गाय की सेवा करते हैं उस सम्बन्ध में कुछ आवश्यक बातें लिखने का प्रयास कर रहा हूँ जिससे गोवंश सुखपूर्वक रह सके और हमे भी ज्यादा से ज्यादा लाभ हो। बछड़े के जन्म से ही शुरु कर देते हैं –
(1) बछड़ा जब जन्म ले उस समय से उसकी पूरी देखभाल करें। गाय व्याहने के बाद जैसे ही बछड़ा खड़ा होने की कोशिश करे उस समय उसे पकड़ कर तुरन्त गाय के थन से लगावे और दूध पिलाये और दूध पिलाने से पूर्व गोमाता के चारो थनो में से थोड़ा-थोड़ा गूँता निकाल देवें बाद में बछड़े को थन मुँह में देवे। यदि जन्म के काफी समय के बाद भी बछड़ा खड़ा न होवे तो उसे हाथो से पकड़ कर थन मुँह में देना चाहिए और दूध पिलाना चाहिए। ध्यान रहे बछड़ा ज्यादा दूध न पिये। बाद में उसी बछड़े को नाप से ही दूध पिलावें। न भूखा रहे और न ही अधिक पिये। अधिक दूध पीने पर दस्त लग सकती है। जब बछड़ा 15 दिन का हो जावे,तब उसे आटे में नमक व हल्दी डालकर खिलाना शुरु करना चाहिए। बछड़े को कम से कम 3 माह तक पर्याप्त दूध मिलना चाहिए। गाय को दुहना छोड़ दे उस के बाद भी बछड़े को अच्छी प्रकार सम्भालना चाहिए। चारे के साथ साथ चूरी दाना,पौष्टिक आहार देना चाहिए। इससे बछड़ा जल्दी उपयोगी बनेगा। प्रायः लोग बछड़े को बिल्कुल ही दूध नहीं पिलाते हैं इस कारण बछड़े कुपोषण के शिकार होकर बड़ी मुश्किल से बड़े होते हैं और बहुत कमजोर हो जाते है। ऐसा होने से हानि हमको ही होती है। सेवा करने से 3 वर्ष की बछड़ी ब्याहती हैं। और कुपोषण की शिकार होने पर 5-6 साल में जाकर कही काम आती हैं।
(2) बछड़ो में अगर बछड़ी हो तो बड़ी होने पर सील में आने पर अच्छे नन्दी से गर्भाधान कराना चाहिए। जैसे तैसे नकारा नन्दी के सम्पर्क में नहीं आने देना चाहिए। ऐसा करने से आगे की नस्ल सुधर जाएगी । यदि बछड़ा हो तो छोटे समय में ही डाक्टर को बुलाकर उसे बैल बना देना चाहिए ताकी उसकी जिन्दगी बच सके। बैल न बनाकर वैसा ही नन्दी छोड़ देते हैं वो मारे-मारे भटकते है और दुःखी होते है। बैल किया हआहो तो बिक जाता है।
(3) व्याहने वाली गाय को व्याहने से पहले ही उसे बांधना,हाथ फेरना,पौष्टिक आहार देना आदि शुरु कर देना चाहिए। व्याहने के समय एक व्यक्ति को गाय के पास रहना चाहिए ताकी वो आराम से सेवा करने देती है वरना किसी को बाद में पास में नहीं आने देगी। घरों में इस बात का ध्यान रखतें है परन्तु गोशालाओं में ऐसा नहीं कर पाते हैं। इस कारण गाय और ग्वाले सबको बाद में बहुत समस्या का सामना करना पड़ता हैं। गाय मारती है। नजदीक नहीं आने देती है। प्रसव पीड़ा,रस्सा बाँधना,दुहना सब नया नया एक साथ होने से गाय भड़क जाती है जो बड़ी मुश्किल से धीरे-धीरे लाईन पर आती है। अतः हमे पहले से ही इसका ध्यान रखना चाहिए।
(4)गोमाता के व्याहने के बाद जब तक उसके मैली न गिरे तब तक उसके पास रहना चाहिये। कई गाये मैली गिरते ही एकदम वो खा लेती है। मैली खाना बहुत हानिकारक है अतः उसे गिरते ही वहाँ से उठाकर गड्डा खोदकर गाड़ देना चाहिये ताकि कुत्ते तंग न करें। यदि मैली नहीं गिरे तो पांच-छः सणियों की जड़ों को साफ घोकर उसके टुकड़े करके गुड़ के साथ पानी में उबाले। उसके बाद वह पानी दिन में दो बार तीन दिन तक गाय को पिलाने से मैली गिर जाती है।
(5)जब गाय के प्रसव का समय हो उसके तुरन्त पहले हो सके तो आधा किलो घी देना चाहिये ताकि प्रसव आराम से हो सके।10-15 दिन पूर्व 2-4 किलो घी पहले से ही दिया हुआ हो तो और भी अच्छा रहता है।
(6) व्याहने पर सबसे पहले खुराक में बाजरी देनी चाहिये। बाजरी पकाकर और कुत्तर में या जो भी चारा हो उस में मिला देना चाहिये।अकेली बाजरी नहीं खिलानी चाहिये। पहली बार थोड़ी बाजरी बिना पकाये दे सकते हैं। बाजरी भी थोड़ी थोड़ी दिन में 3-4 बार खिलाना चाहिये।एक साथ ज्यादा मात्रा में नहीं खिलाना चाहिये। बाजरा के साथ गुड़ व अजवायन भी दें सकते हैं। सप्ताह भर बाजरा देने के बाद फिर सुआवड़ शुरू करनी चाहिये। सुआवड़ में गेहू का भरड़ा,मैथी,गुड़,सुआ,माखनिया भाटा,खोपरे आदि देना चाहिये। ब्याहने के बाद 10-15 दिन तक हरा चारा नहीं देना चाहिये। व्याहने के बाद 2-3 दिन तक नवाया पानी पिलावे ज्यादा ठंडा न पिलावे। नवाये पानी से पूरे षरीर को साफ कर देना चाहिये।
(7) गाय के व्याहने के पूर्व अगर आर (गर्भाश्य बाहर आना) की शिकायत हो तो ब्याहने के बाद थोड़ी देर बैठने नहीं देना चाहिये। वरना सभी आँते बाहर आकर गाय की जान जा सकती है अगर व्याहने के बाद थोड़े दिनो में ही आयन कठोर हो जायें या थन में खून आवे तो डाक्टरको दिखाना चाहिए। तुरन्त ईलाज न होने पर थन जा सकता हैं।
(8) गोशाला मैं प्रायः बड़े बड़े बछड़े गायों के दूध पीते रहते हैं। दुह कर उन्हें अपनी माँ के साथ थोड़ी देर छोड़ देते है इस कारण वे बिना दूध ही अपनी मां को तंग करते है। अतः 5-6 महीने बाद बछड़ा दुबारा नहीं छोड़ना चाहिये । ऐसा करने पर उसके बहुत ही कम दूध होता हैं।
(9) प्रायः लोगों की शिकायत रहती हैं कि गाय मारती है, दुहने नहीं देती, बाँधने नहीं देती आदि। पहली बात तो यह है कि गाय के साथ कभी जोर जबरदस्ती नहीं करें और नहीं मारे-पीटे। उसे प्रेम से अपने वश में करें। सबसे सरल तरीका यह है कि आप उनके पास कुछ दूर बैठ जाएँ, फिर थोड़ा नजदीक आवें, फिर चले जावें, फिर आवें, फिर बैठें, फिर कुछ खिलावें। खिलाकर चले जावें । फिर आपके पास वो नजदीक आवे तो धीरे से हाथ फेरने की कोशिश करें और कुछ खिलावे। धीरे-धीरे विश्वास होने पर वो अपने आप आपके पास आयेगी या आप उसके पास जाओगे तो कोई प्रतिकार नहीं करेगी। कैसी भी खराब गाय हो, उसे धीरे-धीरे अपने वश में कर सकते है । हमेशा शरीर पर हाथ फैरना चाहिये और प्रेम से बुलाना चाहिये। ऐसा करेगें तो गाय आपके पीछे-पीछे फिरेगी।
(10) गाय कैसी भी सीधी और सरल हो तो भी दुहते समय हमेशा उसके नोजणा (पीछे के पैरो मे रसा बांधना) देकर ही दुहना चाहिये।
(11) गाय को दुहते समय पहले बछड़े को छोडें ,बछड़े को चाटकर जब गाय के थनों में पूरा दूध भर आवे तब उसे नोजणा (पीछे के पैरो मे रसा बांधना) दे, पहले न देवे। आगे वाँटा रखें और थोड़ी नजदीक से बांधे और बछड़े को पास में ही बांधे ताकि वह आराम से दूध देती है। बछड़ा पास में न हो और खाने को भी न हो तो दुहते समय वह इधर उधर सरकती हैं। अतः पहली बार से ही वैसी आदत डाले ताकि न दुहने देने की शिकायत कभी आवे ही नहीं। गाय के पास बछड़ा दुहते समय बांधने से बछड़ा भी जल्दी खाना खाना सीखता है। खाने के लिये वांटा रखकर दुहने से कभी बछड़ा मर जाये तो गाय बाँटे पर दुहने देती हैं।
(12)गाय को दुहने से पहले व बाद में थनांे को अच्छी प्रकार से धो लेना चाहिए।
(13) प्रायः लोग जब तक गाय दूध देती है तब तक अनाज चूरी या गोपौष्टिक आहार जो भी हो वो देते रहते हैं परन्तु जैसे ही दुहना बंद किया तो अनाज, चूरी बंद कर देतें हैं। ऐसा नहीं करना चाहिये। मात्रा थोड़ी कम कर सकते है पर बिल्कुल बन्द नहीं करना चाहिये। इससे गाय थक जाती है तथा आगे दूध पर भी असर पड़ता हैं। जब हम 2-3 महीनें गाय दुहना छोड़ देते हैं उस समय अच्छी खुराक मिलने से गााय की व्याहत में दूध अच्छा मिलता हैं।
(14)गोमाता को वांटे के साथ हमेशा थोड़-2 सेंधा नमक देते रहना चाहिये। स्वास्थ्य के लिये नमक अतिआवश्यक हैं।
(15) पुराने समय में तो चारागाह आदि सब सुविधा थी और लोग भी गायांे पर खूब ध्यान देते थे पर अब सबकी कार्य क्षमता घट गयी है। घरों में सर्दी,गर्मी,वर्षा आदि ऋतुओ के अनुसार गाय के रहने की सुविधा हम नहीं कर पा रहे हैं। बरसात के मौसम में जब तक बारिश होती रहती है तब तक गाय खड़ी रहती है बैठती नहीं है। वर्षात बन्द हो जाती है तो भी अगर गाय बन्धी रहती हैं, वहाँ पानी होगा तो गाय नहीं बैठेगी इस कारण वर्षात के मौसम में विशेष ध्यान रखना चाहिये और कीचड़ में और पानी में गाय को नहीं रखें साफ व सूखे स्थान पर बाँधे। हमेशा उसी स्थान पर न रखकर हेरा फेरी करते रहें और स्थान को सुखा कर ठीक करते रहे । तभी गाय रह पायेगी। वर्षा के मौसम में 2-3 दिन तक खड़े रहते गाय को मैने देखा है। कीचड़ से बाहर ले जाने पर ही गाय बैठी ऐसा प्रत्यक्ष कई बार देखा गया हैं। इसी प्रकार गर्मी व सर्दी में भी उचित व्यवस्था होनी चाहिये। जो गायें रात दिन बंधी रहती है उनको सर्दी के मौसम में दिन में एक बार धूप में अवश्य ले जाये गर्मी में छांया के हिसाब से हेरा फेरी करते रहें। वैसे भी दिन में व रात में रहने का स्थान अलग-अलग होना चाहिए। प्रायः कई गोशालाओ में देखा गया है कि बहुत ऊँची-2 दीवारें तथा रहने के लिये पक्के मकान तथा नीचे ईटें-पत्थर बिछा देते है एवं बहुत ही छोटे स्थान पर निर्धारित मात्रा से अधिक गायें रखते है और चारो ओर से बन्द होने से हवा प्रकाश नहीं आता है। गायो के लिये ऐसा जरूरी नहीं है और अनुकूल भी नहीं है। गायो को केवल सर्दी,गर्मी व वर्षा से थोड़ा बचाव होना चाहिये। बाकी स्थान खुला रहे। जहाँ दिन मे गाये रहती है वहाँ रात्रि में नहीं रह सकती और जहाँ रात्रि में रहती है वह स्थान दिन मे अनुकूल नहीं पड़ता है। जैसे पक्का कमरा है वहाँ छाया होने से दिन में तो गाय रह जायेगी पर रात्रि में वहाँ भंयकर गर्मी लगेगी। अतः गर्मी की रात्रि में बिल्कुल खुले स्थान मे रखना आवश्यक है। इसी प्रकार सर्दियो की रात्रि में कमरे में रह जाऐगी दिन में एक बार धूप में लाना अनिवार्य है उसी प्रकार बैठने का स्थान भी रेतीला हो जहाँ आराम से बैठ सके। पत्थर पर चैबीसो घंटे गाये को रखने से तकलीफ पाती है। अतः ऐसा हमें व्यावहारिक दृष्टि से सब देख कर रख रखाव व्यवस्था करनी चाहिये।
(16) जो क्षेत्र सिंचित है उस क्षेत्र के घरो में गायें हमेशा बंधी रहती है। वे छोड़ते नहीं है यह भी ठीक नहीं हैं। गाय के लिये फिरना भी आवश्यक हैं। बिना फिरे खुराक हजम नहीं होगी और चर्बी बढ जायगी। अतः खेत में जमीन थोड़ा थोड़ा हिस्सा गायो के लिये छोड़ें ताकि वहाँ चर-फिर सके। जमीन भी वो शुद्ध रहेगी और गायों को भी आराम रहेगा। जमीन की कमी है फिर भी चाहकर ऐसा करना चाहिए। गोशालाओ में जहाँ अधिक गायें होती है और खुली रहती है वहाँ सबको नहलाना सम्भव नहीं हो सकता हैं परन्तु घरो में जहाँ थोड़ी गाये है और बाधतें है उनको 15 दिन में एक बार गर्मियों के मौसम में सवेरे के समय (धूप निकलने से पहले) नहलाना चाहिये।
(17) गायो को चारा और दाना अनाज या गोपुष्टिक आहार जो भी हो सब उसकी क्षमता के अनुसार दें। आवश्यकता से अधिक मात्रा में भी न दें, वो खा तो जायेगी पर हजम नही होगा और हर समय चारा आगे पड़ा रहने से वो चारा भी कम खाएगी गोशालाओ में तो ऐसा करना सम्भव नहीं है पर घरो में यह कर सकते कि समय पर ही आवश्यकता के अनुसार चारा दें। व्यवस्थित और समय पर चारा पानी देने से गाय जल्दी ही स्वस्थ व हष्ट-पुष्ट बन जाती हैं।
(18) मारवाड़ी में कहावत हैं ‘‘ज्यादा खिलाकर प्राप्त किया जाता है और थोड़ा खिलाकर गवायाँ जाता है’’ अर्थात् जितना आवश्यक हों उतनी ही खुराक को देनी चाहिये तभी हमें दूध, घी,मखन आदि पर्याप्त मात्रा में मिलेगा अन्यथा थोड़ा खिलाते है तो कोई लाभ नहीं होता है। धन भी कमजोर रहता है और हमे भी प्रतिफल नहीं मिलता है।
(19) गाय के बारे में जब चर्चा होती है तो यह बात सामने आती है कि गाय दूध कम देती है। उसका मूल्य भी कम है। इस प्रकार आर्थिक दृष्टि से गाय पालना महंगा पड़ता है। दूसरी तरफ लोग भैसों को अच्छी तरह पालते है। यदि केवल आर्थिक पक्ष देखें तो भी गाय-भैंस से आगे रहती है। यदि आपके घर में बछड़ी बड़ी हुई है और सेवा की है तथा ब्याहने के बाद में अच्छी प्रकार सेवा करे तो भैस से कम खर्चें में भैस के बराबर दूध करती है। अन्तर यह रह जाता है कि जिस प्रकार बचपन से लेकर दूहने तक छोटी पाडी भैंस की बच्ची की हम सेवा करते है और आगे भी चराते है और दूध देना बन्द किया। तब भी चाकरी भैंस की करते है जबकि गाय को केवल दुहने के समय ही मामूली चराते है। यदि अच्छी प्रकार भैंस की तरह ही गाय की सेवा करें तो भैस से गाय का दूध ज्यादा ही होगा,कम नहीं होगा यह पक्की बात है या वैसे कर लो कि एक के खर्चे में दो गायें पल जायेगी और दो गायें मिलकर भैंस से आगे रहेगी।
गाय का मूल्य बढ़ाने और दूध बढ़ाने के लिये नस्ल सुधार करना आवश्यक है। लोगों ने वैसे ही आवारा नन्दी छोड़ दिये है। जिससे गायों का स्तर गिर गया है। इस कारण जिसके घर में संसाधन हो, पानी हो,जमीन हो, उनको अपने घर की गायों के लिये अच्छी नस्ल का सांड रखना चाहिये ताकि अपनी गायें सुधर जाय और गांव में दूसरी गायें भी सुधरें। अच्छी नस्ल के सांड की बछड़ी ब्याहेगी तो एक समय का 8-10 लीटर दूध करेगी। ऐसा कार्य कई स्थानों पर हो रहा है। हम खुद थरा (गुजरात) में देखकर आये हैं। वहाँ सभी गायें, बछड़े खूब सुन्दर है व दूध भी अच्छा है। उन्होंने नस्ल सुधार किया है। अपने यहाँ दाता में भाखरारामजी विश्नोई के खेत में वे स्वयं का अच्छा सांड रखते है वहाँ अन्य लोग भी गायें लेकर आते है। इससे कई गायों की नस्ल सुधर जायगी। जिस गाय के दूध अच्छा हो उस गाय का नन्दी बड़ा कर उसे गायों में रखना चाहियें। अगर हम सब वैसा करें और आवारा नन्दियों को बन्द कर दे तो आने वाली पीढ़ी पूरी सुधर जायेगी। तब गाय को अनुपयोगी मानकर कोई नहीं छोड़ेगा। गाय रहने के बाद नन्दी को कम से कम एक किलो गुड़ गाय मालिक द्वारा खिलाना चाहिये।
वैसे भी अब तो फेट पर भैंस से गाय के दूध का पैसा ज्यादा मिलता है इस प्रकार भैस के बराबर दूध की कीमत आ जाती है। इस कारण गायों की तरफ लोंगो का ध्यान जाने लगा है। गाय के दूध में फेंट कम होता है परन्तु दूसरे सभी आवश्यक तत्व होते है। केवल फेट वाला दूध शरीर के लिये उपयोगी नहीं है। शरीर के लिये सभी तत्वों की जरुरत है। गाय के दूध में सभी तत्व होते हैं जिससे शरीर स्वस्थ रहता है इस कारण भी भैस की बजाय गाय का दूध अधिक उपयोगी है। इसलिये ज्यादा पैसे देकर भी सदैव गाय का दूध ही खरीदना चाहिये।

हम अगर गोरस का बखान करते करते मर जाए तो भी कुछ अंग्रेजी सभ्यता वाले हमारी बात नहीं मानेगे क्योकि वे लोग तो हम लोगो को पिछड़ा, साम्प्रदायिक और गँवार जो समझते है| उनके लिए तो वही सही है जो पश्चिम कहे तो हम उन्ही के वैज्ञानिक शिरोविच की गोरस पर खोज लाये हैं जो रुसी वैज्ञानिक है|
गाय का घी और चावल की आहुती डालने से महत्वपूर्ण गैसे जैसे – एथिलीन ऑक्साइड,प्रोपिलीन ऑक्साइड,फॉर्मल्डीहाइड आदि उत्पन्न होती हैं । इथिलीन ऑक्साइड गैस आजकल सबसे अधिक
प्रयुक्त होनेवाली जीवाणुरोधक गैस है,जो शल्य-चिकित्सा (ऑपरेशन थियेटर) से लेकर जीवनरक्षक औषधियाँ बनाने तक में उपयोगी हैं । वैज्ञानिक प्रोपिलीन ऑक्साइड गैस को कृत्रिम वर्षो का आधार मानते है । आयुर्वेद विशेषज्ञो के अनुसार अनिद्रा का रोगी शाम को दोनों नथुनो में गाय के घी की दो – दो बूंद डाले और रात को नाभि और पैर के तलुओ में गौघृत लगाकर लेट
जाय तो उसे प्रगाढ़ निद्रा आ जायेगी ।
गौघृत में मनुष्य – शरीर में पहुंचे रेडियोधर्मी विकिरणों का दुष्प्रभाव नष्ट करने की असीम क्षमता हैं । अग्नि में गाय का घी कि आहुति देने से उसका धुआँ जहाँ तक फैलता है,वहाँ तक का
सारा वातावरण प्रदूषण और आण्विक विकरणों से मुक्त हो जाता हैं । सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि एक चम्मच गौघृत को अग्नि में डालने से एक टन प्राणवायु (ऑक्सीजन) बनती हैं जो
अन्य किसी भी उपाय से संभव नहीं हैं|

देसी गाय के घी को रसायन कहा गया है। जो जवानी को कायम रखते हुए, बुढ़ापे को दूर रखता है। काली गाय का घी खाने से बूढ़ा व्यक्ति भी जवान जैसा हो जाता है।गाय के घी में स्वर्ण छार पाए जाते हैं जिसमे अदभुत औषधिय गुण होते है, जो की गाय के घी के इलावा अन्य घी में नहीं मिलते । गाय के घी से बेहतर कोई दूसरी चीज नहीं है। गाय के घी में वैक्सीन एसिड, ब्यूट्रिक एसिड, बीटा-कैरोटीन जैसे माइक्रोन्यूट्रींस मौजूद होते हैं। जिस के सेवन करने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है। गाय के घी से उत्पन्न शरीर के माइक्रोन्यूट्रींस में कैंसर युक्त तत्वों से लड़ने की क्षमता होती है।

यदि आप गाय के 10 ग्राम घी से हवन अनुष्ठान (यज्ञ,) करते हैं तो इसके परिणाम स्वरूप वातावरण में लगभग 1 टन ताजा ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकते हैं। यही कारण है कि मंदिरों में गाय के घी का दीपक जलाने कि तथा , धार्मिक समारोह में यज्ञ करने कि प्रथा प्रचलित है। इससे वातावरण में फैले परमाणु विकिरणों को हटाने की अदभुत क्षमता होती है।

गाय के घी के अन्य महत्वपूर्ण उपयोग :–
1.गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है।
2.गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है।
3.गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है।
4.20-25 ग्राम घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांझे का नशा कम हो जाता है।
5.गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ही ठीक हो जाता है।
6.नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तारो ताजा हो जाता है।
7.गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बहार निकल कर चेतना वापस लोट आती है।
8.गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है।
9.गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।
10.हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलन ढीक होता है।
11.हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी।
12.गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।
13.गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है
14.गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है।
15.अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें।
16.हथेली और पांव के तलवो में जलन होने पर गाय के घी की मालिश करने से जलन में आराम आयेगा।
17.गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है।
18.जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाइ खाने की मनाही है तो गाय का घी खाएं, हर्दय मज़बूत होता है।
19.देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।
20.संभोग के बाद कमजोरी आने पर एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच देसी गाय का घी मिलाकर पी लें। इससे थकान बिल्कुल कम हो जाएगी।
21.फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है।गाय के घी की झाती पर मालिस करने से बच्चो के बलगम को बहार निकालने मे सहायक होता है।
22.सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम घी पिलायें उपर से जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें जिससे उलटी और दस्त तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष कम हो जायेगा।
23.दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालने से माइग्रेन दर्द ढीक होता है। सिर दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो, तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करे, सर दर्द ठीक हो जायेगा।
24.यह स्मरण रहे कि गाय के घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है। वजन भी नही बढ़ता, बल्कि वजन को संतुलित करता है । यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है।
25.एक चम्मच गाय का शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च इन तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है।
26.गाय के घी को ठन्डे जल में फेंट ले और फिर घी को पानी से अलग कर ले यह प्रक्रिया लगभग सौ बार करे और इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें। इस विधि द्वारा प्राप्त घी एक असर कारक औषधि में परिवर्तित हो जाता है जिसे जिसे त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक मलहम कि तरह से इस्तेमाल कर सकते है। यह सौराइशिस के लिए भी कारगर है।
27.गाय का घी एक अच्छा(LDL)कोलेस्ट्रॉल है। उच्च कोलेस्ट्रॉल के रोगियों को गाय का घी ही खाना चाहिए। यह एक बहुत अच्छा टॉनिक भी है। अगर आप गाय के घी की कुछ बूँदें दिन में तीन बार,नाक में प्रयोग करेंगे तो यह त्रिदोष (वात पित्त और कफ) को संतुलित करता है।
28.घी, छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शक्कर (बूरा) तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बाँध लें। प्रातः खाली पेट एक लड्डू खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास मीठा कुनकुना दूध घूँट-घूँट करके पीने से स्त्रियों के प्रदर रोग में आराम होता है, पुरुषों का शरीर मोटा ताजा यानी सुडौल और बलवान बनता 

एडी से चोटी तक शरीर की ब्लाक नसों को खोले

एडी से चोटी तक शरीर की ब्लाक नसों को खोले –

ज़रूरी सामान


1gm दाल चीनी
10 gm काली मिर्च साबुत
10gm तेज पत्ता
10gm मगज
10 gm मिश्री डला
10 gm अखरोट गिरी
10gm अलसी
टोटल 61gm सभी सामान रसोई का ही है
बनाने की विधि

सभी को मिक्सी में पीस के बिलकुल पाउडर बना ले और 6gm की 10 पुड़िया बन जायेगी
एक पुड़िया हर रोज सुबह खाली पेट नवाये पानी से लेनी है और एक घंटे तक कुछ भी नही खाना है चाय पी सकते हो ऐड़ी से ले कर चोटी तक की कोई भी नस बन्द हो खुल जाएगी हार्ट पेसेंट भी ध्यान दे ये खुराक लेते रहो पूरी जिंदगी हार्टअटैक या लकवा से नही मरेगा गारंटीड।

अखरोट के फायदें...

कई लोगों को अखरोट खाना बहुत पंसद होता है। अखरोट हमारी
स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद भी है। एक तरह यह
हमारी फिटनेस बरकरार रखता है वहीं यह हमें
गंभीर बीमारियों से भी बचाता है। आज हम
आपको बताते है अखरोट के फायदें...
1. पौष्टिकता से भरा
नट्स में वसा की मात्रा अधिक मानी जाती है
और इसलिए इन्हें वजन बढ़ाने वाला माना जाता है। लेकिन अखरोट एक ऐसा ‘नट’
है। इसमें कई पौष्टिक तत्व होते हैं।
2. वजन घटाए
वजन कम करने में अखरोट मदद करता है। एक औंस यानी
करीब 28 ग्राम अखरोट में 2.5 ग्राम ओमेगा थ्री
फैटी एसिड, 4 ग्राम प्रोटीन और 2 ग्राम फाइबर होता है
जिससे लंबे समय तक तृप्ति की भावना बनी
रहती है। वजन कम करने के लिए जरूरी है कि आपका
पेट भरा रहे।
3. नींद
नट्स आपकी नींद सुधार सकते हैं इनमें मेलाटोनिन हॉरमोन
होता है, जो नींद के लिए प्रेरित करना और नींद को नियंत्रित
करता है। अगर आप सोने से पहले अखरोट खाए तो इससे आपकी
नींद में सुधार आए।
4. बालों के लिए फायदेमंद
बालों के लिए भी अखरोट फायदेमंद होता है। अखरोट में मौजूद विटामिन
बी7 होता है जो आपके बालों को मजबूत बनाने का काम करता है।
5. दिल की बीमारियां
अखरोट में एंटी-ऑक्सीडेंट्स और ओमेगा थ्री
फैटी एसिड भरपूर मात्रा में होता है, जो इसे दिल की
बीमारियों से लड़ने में काफी असरदार बनाता है। इसके साथ
ही यह बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल में
इजाफा करने का भी काम करता है, जो इसे आपके दिल के लिए और
भी उपयोगी बनाता है।
6. डायबिटीज
एक शोध के मुताबिक जो महिलायें सप्ताह में 2 बार 28 ग्राम अखरोट
खाती हैं। उन्हें टाइप टू डायबिटीज होने का खतरा 24
फीसदी कम होता है। जर्नल ऑफ न्यूट्रीशन
में प्रकाशित इस शोध में यह भी कहा गया कि हालांकि यह शोध
महिलाओं पर किया गया था लेकिन विशेषज्ञों का यह मानना है कि पुरुषों को
भी अखरोट के इसी प्रकार के लाभ मिलने की
उम्मीद है।
7. शुक्राणु की गुणवत्ता बढ़ाए
रोज 2.5 औंस यानी करीब 75 ग्राम अखरोट रोजाना खाने से
स्वस्थ युवा पुरुषों के शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार होता है।
यूसीएल के शोधकर्ताओं का कहना है कि रोजाना अखरोट का पर्याप्त
सेवन करने से 21 से 35 वर्ष की आयु के पुरुषों के शुक्राणुओं में
अधिक जीवनशक्ति और गतिशीलता आती है।
8. त्वचा
चमकदार त्वचा पाने के लिए आप अखरोट का सेवन कर सकती है।
अखरोट में विटामिन- बी और एंटी-ऑक्सीडेंट्स
भरपूर मात्रा में होते हैं, जो आपकी त्वचा को फ्री-
रेडिकल्स से बचाते हैं। इससे आपकी त्वचा को उम्र के निशान और
झुर्रियों के प्रभाव से भी बचाया जा सकता है।
9. डिमेंशिया
रोजाना अखरोट का सेवन आपको डिमेंशिया से दूर रखने में मदद करता है। शोध के
मुताबिक अखरोट में मौजूद विटामिन ई और फ्लेवनॉयड डिमेंशिया उत्पन्न करने वाले
हानिकारक फ्री-रेडिकल्स को नष्ट करने में मदद करते हैं। इसके साथ
ही अखरोट सीखने की क्षमता को
भी बढ़ाता है।
10. गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद
गर्भवती महिलाएं जो अखरोट जैसे फैटी एसिड युक्त
आहार का सेवन करती हैं। उनके बच्चों को फूड एलर्जी
होने की आशंका बहुत कम होती है। शोधकर्ताओं का
कहना है कि मांओं के आहार में पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी
एसिड (पूफा) होता है। उनके बच्चे का विकास अच्छी तरह होता है।
पूफा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली कोशिकाओं को मजबूत बनाता है।
11. स्तन कैंसर
मार्शल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया रोजाना दो औंस
यानी करीब 56 ग्राम अखरोट का सेवन स्तन कैंसर से
बचाने में मदद करता है। रोजाना अखरोट का सेवन करने वालों को स्तन कैंसर का
खतरा काफी कम होता है।
12. तनाव
अखरोट अथवा उसके तेल को आहार में शामिल करने से तनाव के लिए जिम्मेदार
रक्तचाप को दूर करने में मदद मिलती है। अखरोट में फाइबर,
एंटी-ऑक्सीडेंट्स और असंतृप्त फैटी एसिड
विशेषकर अल्फा लिनोलेनिक एसिड और ओमेगा थ्री फैटी
एसिड मौजूद होते हैं।

Ple 5 mint nikaalo share ple

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*1. सुबह उठ कर कैसा पानी पीना चाहिए*

    उत्तर -     हल्का गर्म

*2.  पानी पीने का क्या तरीका होता है*

    उत्तर -    सिप सिप करके व नीचे बैठ कर

*3. खाना कितनी बार चबाना चाहिए*

     उत्तर. -    32 बार

*4.  पेट भर कर खाना कब खाना चाहिए*

     उत्तर. -     सुबह

*5.  सुबह का नाश्ता कब तक खा लेना चाहिए*

     उत्तर. -    सूरज निकलने के ढाई घण्टे तक

*6.  सुबह खाने के साथ क्या पीना चाहिए*
   
     उत्तर. -     जूस

*7.  दोपहर को खाने के साथ क्या पीना चाहिए*

    उत्तर. -     लस्सी / छाछ

*8.  रात को खाने के साथ क्या पीना चाहिए*

    उत्तर. -     दूध

*9.  खट्टे फल किस समय नही खाने चाहिए*

    उत्तर. -     रात को

*10. आईसक्रीम कब खानी चाहिए*

       उत्तर. -      कभी नही

*11. फ्रिज़ से निकाली हुई चीज कितनी देर बाद*
      *खानी चाहिए*

      उत्तर. -    1 घण्टे बाद

*12. क्या कोल्ड ड्रिंक पीना चाहिए*

       उत्तर. -      नहीं

*13.  बना हुआ खाना कितनी देर बाद तक खा*
      *लेना चाहिए*

      उत्तर. -     40 मिनट

*14.  रात को कितना खाना खाना चाहिए*

       उत्तर. -    न के बराबर

*15.  रात का खाना किस समय कर लेना चाहिए*

      उत्तर. -     सूरज छिपने से पहले

*16. पानी खाना खाने से कितने समय पहले*
     *पी सकते हैं*

      उत्तर. -     48 मिनट

*17.  क्या रात को लस्सी पी सकते हैं*

     उत्तर. -     नही

*18.  सुबह खाने के बाद क्या करना चाहिए*

       उत्तर. -     काम

*19. दोपहर को खाना खाने के बाद क्या करना*
       *चाहिए*

       उत्तर. -     आराम

*20. रात को खाना खाने के बाद क्या करना*
     *चाहिए*

      उत्तर. -    500 कदम चलना चाहिए

*21. खाना खाने के बाद हमेशा क्या करना*
      चाहिए

      उत्तर. -     वज्रासन

*22. खाना खाने के बाद वज्रासन कितनी देर*
      *करना चाहिए.*
   
      उत्तर. -     5 -10 मिनट

*23.  सुबह उठ कर आखों मे क्या डालना चाहिए*

      उत्तर. -     मुंह की लार

*24.  रात को किस समय तक सो जाना चाहिए*

      उत्तर. -     9 - 10 बजे तक

*25. तीन जहर के नाम बताओ*

      उत्तर.-    चीनी , मैदा , सफेद नमक

*26. दोपहर को सब्जी मे क्या डाल कर खाना*
      *चाहिए*

      उत्तर. -     अजवायन

*27.  क्या रात को सलाद खानी चाहिए*

      उत्तर. -     नहीं

*28. खाना हमेशा कैसे खाना चाहिए*

      उत्तर. -     नीचे बैठकर व खूब चबाकर

*29. चाय कब पीनी चाहिए*

      उत्तर. -     कभी नहीं

*30. दूध मे क्या डाल कर पीना चाहिए*

      उत्तर. -    हल्दी

*31.  दूध में हल्दी डालकर क्यों पीनी चाहिए*

      उत्तर. -    कैंसर ना हो इसलिए

*32. कौन सी चिकित्सा पद्धति ठीक है*

      उत्तर. -   आयुर्वेद

*33. सोने के बर्तन का पानी कब पीना चाहिए*

      उत्तर. -   अक्टूबर से मार्च (सर्दियों मे)

*34. ताम्बे के बर्तन का पानी कब पीना चाहिए*

      उत्तर. -    जून से सितम्बर(वर्षा ऋतु)

*35. मिट्टी के घड़े का पानी कब पीना चाहिए*

      उत्तर. -  मार्च से जून (गर्मियों में)

*36. सुबह का पानी कितना पीना चाहिए*

      उत्तर. -  कम से कम 2 - 3 गिलास

*37. सुबह कब उठना चाहिए*

       उत्तर. -  सूरज निकलने से डेढ़ घण्टा पहल

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हाथ की पांच उंगलिया

हाथ की पांच उंगलिया

हमारे हाथ की पांचो उंगलिया शरीर के अलग अलग अंगों से जुडी होती है | इसका मतलब आप को दर्द नाशक दवाइयां खाने की बजाए इस आसान और प्रभावशाली  तरीके का इस्तेमाल करना करना चाहिए | आज इस लेख के माध्यम  से हम आपको बतायेगे के शरीर के किसी हिस्से का दर्द सिर्फ हाथ की उंगली को रगड़ने से कैसे दूर होता है |

हमारे हाथ की अलग अलग उंगलिया अलग अलग बिमारिओ और भावनाओं से जुडी होती है | शायद आप को पता न हो, हमारे हाथ की उंगलिया चिंता, डर और चिड़चिड़ापन दूर करने की क्षमता रखती है | उंगलियों पर धीरे से दबाव डालने से शरीर के कई अंगो पर प्रभाव पड़ेगा |

1. अंगूठा
– The Thumb
हाथ का अंगूठा हमारे फेफड़ो से जुड़ा होता है | अगर आप की दिल की धड़कन तेज है तो हलके हाथो से अंगूठे पर मसाज करे और हल्का सा खिचे | इससे आप को आराम मिलेगा |

2. तर्जनी
– The Index Finger
ये उंगली आंतों  gastro intestinal tract से जुडी होती है | अगर आप के पेट में दर्द है तो इस उंगली को हल्का सा रगड़े , दर्द गयब हो जायेगा।

3. बीच की उंगली
– The Middle Finger
ये उंगली परिसंचरण तंत्र तथा circulation system से जुडी होती है | अगर आप को चक्कर या  आपका जी घबरा रहा है तो इस उंगली पर मालिश करने से तुरंत रहत मिलेगी |

4. तीसरी उंगली
– The Ring Finger
ये उंगली आपकी मनोदशा से जुडी होती है | अगर किसी कर्ण आपका मनोदशा अच्छा नहीं है या शांति चाहते हो तो इस उंगली को हल्का सा मसाज करे और खिचे, आपको जल्द ही इस के अच्छे नतीजे प्राप्त हो जयेगे, आप का मूड खिल उठे गा।

5. छोटी उंगली
– The Little Finger
छोटी उंगली का किडनी और सिर के साथ सम्बन्ध होता है | अगर आप को सिर में दर्द है तो इस उंगली को हल्का सा दबाये और मसाज करे, आप का सिर दर्द गायब हो जायेगा | इसे मसाज करने से किडनी भी तंदरुस्त रहती  है |

पोस्ट अच्छी लगे तो कम से कम अपने मित्रो और परिचित तक भेजे और स्वस्थ भारत के निर्माण मैं अपना पूर्ण योगदान दे।

🌸 धन्यवाद 🌸

5 मिनिट में गायब.... "सर दर्द"

5 मिनिट में गायब.... "सर दर्द"

सिरदर्द के लिए अचूक "प्राकृतिक चिकित्सा "मात्र पांच मिनट में सरदर्द "गायब"
नाक के दो हिस्से हैं दायाँ स्वर और बायां स्वर जिससे हम सांस लेते और छोड़ते हैं, पर यह बिलकुल अलग-अलग असर डालते हैं और आप फर्क महसूस कर सकते हैं।
दाहिना नासिका छिद्र "सूर्य" और बायां नासिका छिद्र "चन्द्र" के लक्षण को दर्शाता है या प्रतिनिधित्व करता है।
सरदर्द के दौरान, दाहिने नासिका छिद्र को बंद करें और बाएं से सांस लें।
और बस ! पांच मिनट में आपका सरदर्द "गायब" है ना आसान ? और यकीन मानिए यह उतना ही प्रभावकारी भी है।
अगर आप थकान महसूस कर रहे हैं तो बस इसका उल्टा करें.. यानि बायीं नासिका छिद्र को बंद करें और दायें से सांस लें और बस ! थोड़ी ही देर में "तरोताजा" महसूस करें।
दाहिना नासिका छिद्र "गर्म प्रकृति" रखता है और बायां "ठंडी प्रकृति"
अधिकांश महिलाएं बाएं और पुरुष दाहिने नासिका छिद्र से सांस लेते हैं और तदनरूप क्रमशः ठन्डे और गर्म प्रकृति के होते हैं सूर्य और चन्द्रमा की तरह।
प्रातः काल में उठते समय अगर आप बायीं नासिका छिद्र से सांस लेने में बेहतर महसूस कर रहे हैं तो आपको थकान जैसा महसूस होगा, तो बस बायीं नासिका छिद्र को बंद करें, दायीं से सांस लेने का प्रयास करें और तरोताजा हो जाएँ।
अगर आप प्रायः सरदर्द से परेशान रहते हैं तो इसे आजमायें, दाहिने को बंद कर बायीं नासिका छिद्र से सांस लें।
बस इसे नियमित रूप से एक महिना करें और स्वास्थ्य लाभ लें। तो बस इन्हें आजमाइए और बिना दवाओं के स्वस्थ महसूस करें।
🙏 ओउम् ⛅

*गुर्दे की पथरी की चिकित्सा*

*गुर्दे की पथरी की चिकित्सा*


आजकल पथरी का रोग लोगों में आम समस्या बनती जा रही है| जो अक्सर गलत खान पान की वजह से होता है।गुर्दे की पथरी (वृक्कीय कैल्कली, नेफरोलिथियासिस) (अंग्रेजी:Kidney stones) मूत्रतंत्र की एक ऐसी स्थिति है जिसमें, वृक्क (गुर्दे) के अन्दर छोटे-छोटे पत्थर सदृश कठोर वस्तुओं का निर्माण होता है। गुर्दें में एक समय में एक या अधिक पथरी हो सकती है। सामान्यत: ये पथरियाँ बिना किसी तकलीफ मूत्रमार्ग से शरीर से बाहर निकाल दी जाती हैं , किन्तु यदि ये पर्याप्त रूप से बड़ी हो जाएं ( २-३ मिमी आकार के) तो ये मूत्रवाहिनी में अवरोध उत्पन्न कर सकती हैं। इस स्थिति में मूत्रांगो के आसपास असहनीय पीड़ा होती है।
यह स्थिति आमतौर से 30 से 60 वर्ष के आयु के व्यक्तियों में पाई जाती है और स्त्रियों की अपेक्षा पुरूषों में चार गुना अधिक पाई जाती है। बच्चों और वृद्धों में मूत्राशय की पथरी ज्यादा बनती है, जबकि वयस्को में अधिकतर गुर्दो और मूत्रवाहक नली में पथरी बन जाती है। जिन मरीजों को मधुमेह की बीमारी है उन्हें गुर्दे की बीमारी होने की काफी संभावनाएं रहती हैं। अगर किसी मरीज को रक्तचाप की बीमारी है तो उसे नियमित दवा से रक्तचाप को नियंत्रण करने पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि अगर रक्तचाप बढ़ता है, तो भी गुर्दे खराब हो सकते हैं।

*गुर्दे की पथरी के कारण*
Cause of kidney stones:
किसी पदार्थ के कारण जब मूत्र सान्द्र (गाढ़ा) हो जाता है तो पथरी निर्मित होने लगती है। इस पदार्थ में छोटे छोटे दाने बनते हैं जो बाद में पथरी में तब्दील हो जाते है। इसके लक्षण जब तक दिखाई नहीं देते तब तक ये मूत्रमार्ग में बढ़ने लगते है और दर्द होने लगता है। इसमें काफी तेज दर्द होता है जो बाजू से शुरु होकर उरू मूल तक बढ़ता है।

तथा रोजाना भोजन करते समय उनमें जो कैल्शियम फॉस्फेट आदि तत्व रह जाते हैं, पाचन क्रिया की विकृति से इन तत्वों का पाचन नहीं हो पाता है। वे गुर्दे में एकत्र होते रहते हैं। कैल्शियम, फॉस्फेट के सूक्ष्म कण तो मूत्र द्वारा निकलते रहते हैं, जो कण नहीं निकल पाते वे एक दूसरे से मिलकर पथरी का निर्माण करने लगते हैं। पथरी बड़ी होकर मूत्र नली में पहुंचकर मूत्र अवरोध करने लगती है। तब तीव्र पीड़ा होती है। रोगी तड़पने लगता है। इलाज में देर होने से मूत्र के साथ रक्त भी आने लगता है जिससे काफी पीड़ा होती है। तथा लंबे समय तक पाचन शक्ति ठीक न रहने और मूत्र विकार भी बना रहे तो गुर्दों में कुछ तत्व इकट्ठे होकर पथरी का रूप धारण कर लेते हैं।

A family history of kidney stones is also a risk factor for developing kidney stones


किसी प्रकार से पेशाब के साथ निकलने वाले क्षारीय तत्व किसी एक स्थान पर रुक जाते है,चाहे वह मूत्राशय हो,गुर्दा हो या मूत्रनालिका हो,इसके कई रूप होते है,कभी कभी यह बडा रूप लेकर बहुत परेशानी का कारक बन जाती है,पथरी की शंका होने पर किसी प्रकार से इसको जरूर चैक करवा लेना चाहिये.

गुर्दे की पथरी के लक्षण
Symptoms of kidney stones
पीठ के निचले हिस्से में अथवा पेट के निचले भाग में अचानक तेज दर्द, जो पेट व जांघ के संधि क्षेत्र तक जाता है। दर्द फैल सकता है या बाजू, श्रोणि, उरू मूल, गुप्तांगो तक बढ़ सकता है, यह दर्द कुछ मिनटो या घंटो तक बना रहता है तथा बीच-बीच में आराम मिलता है। दर्दो के साथ जी मिचलाने तथा उल्टी होने की शिकायत भीहो सकती है। यदि मूत्र संबंधी प्रणाली के किसी भाग में संक्रमण है तो इसके लक्षणों में बुखार, कंपकंपी, पसीना आना, पेशाब आने के साथ-साथ दर्द होना आदि भी शामिल हो सकते हैं ; बार बार और एकदम से पेशाब आना, रुक रुक कर पेशाब आना, रात में अधिक पेशाब आना, मूत्र में रक्त भी आ सकता है। अंडकोशों में दर्द, पेशाब का रंग असामान्य होना। गुर्दे की पथरी के ज्यादातर रोगी पीठ से पेट की तरफ आते भयंकर दर्द की शिकायत करते हैं। यह दर्द रह-रह कर उठता है और कुछ मिनटो से कई घंटो तक बना रहता है इसे ”रीलन क्रोनिन” कहते हैं। यह रोग का प्रमुख लक्षण है, इसमें मूत्रवाहक नली की पथरी में दर्दो पीठ के निचले हिस्से से उठकर जांघों की ओर जाता है।

*गुर्दे की पथरी के प्रकार*
Types of Kidney Stones
सबसे आम पथरी कैल्शियम पथरी है। पुरुषों में, महिलाओं की तुलना में दो से तीन गुणा ज्यादा होती है। सामान्यतः 20 से 30 आयु वर्ग के पुरुष इससे प्रभावित होते है। कैल्शियम अन्य पदार्थों जैसे आक्सलेट(सबसे सामान्य पदार्थ) फास्फेट या कार्बोनेट से मिलकर पथरी का निर्माण करते है। आक्सलेट कुछ खाद्य पदार्थों में विद्यमान रहता है।
पुरुषों में यूरिक एसिड पथरी भी सामान्यतः पाई जाती है। किस्टिनूरिया वाले व्यक्तियों में किस्टाइन पथरी निर्मित होती है। महिला और पुरुष दोनों में यह वंशानुगत हो सकता है।
मूत्रमार्ग में होने वाले संक्रमण की वजह से स्ट्रवाइट पथरी होती है जो आमतौर पर महिलाओं में पायी जाती है। स्ट्रवाइट पथरी बढ़कर गुर्दे, मूत्रवाहिनी या मूत्राशय को अवरुद्ध कर सकती है।

*गुर्दे की पथरी से बचाव के कुछ उपाय:*
Some measure of protection from kidney stones:
1. पर्याप्त जल पीयें ताकि 2 से 2.5 लीटर मूत्र रोज बने।पथरी के मरीज को दिन में कम से कम 5-6 लीटर पानी पीना चाहिये। अधिक मात्रा में मुत्र बनने पर छोटी पथरी मुत्र के साथ निकल जाती है।

2. आहार में प्रोटीन, नाइट्रोजन तथा सोडियम की मात्रा कम हो।

3. ऐसे पदार्थ न लिये जांय जिनमें आक्जेलेट्‌ की मात्रा अधिक हो; जैसे चाकलेट, सोयाबीन, मूंगफली, पालक आदि

4. कोका कोला एवं इसी तरह के अन्य पेय से बचें।

5. विटामिन - सी की भारी मात्रा न ली जाय।

6. नारंगी आदि का रस (ज्यूस) लेने से पथरी का खतरा कम होता है।

*पथरी में ये खाएं:*
कुल्थी के अलावा खीरा, तरबूज के बीज, खरबूजे के बीज, चौलाई का साग, मूली, आंवला, अनन्नास, बथुआ, जौ, मूंग की दाल, गोखरु आदि खाएं। कुल्थी के सेवन के साथ दिन में 6 से 8 गिलास सादा पानी पीना, खासकर गुर्दे की बीमारियों में बहुत हितकारी सिद्ध होता है।

ये न खाएं:
पालक, टमाटर, बैंगन, चावल, उड़द, लेसदार पदार्थ, सूखे मेवे, चॉकलेट, चाय, मद्यपान, मांसाहार आदि। मूत्र को रोकना नहीं चाहिए। लगातार एक घंटे से अधिक एक आसन पर न बैठें। जिसको भी शरीर मे पथरी है वो चुना कभी ना खाएं !काले अंगूरों के सेवन से परहेज करें।तिल, काजू अथवा खीरे, आँवला अथवा चीकू (सपोटा) में भी आक्सेलेट अधिक मात्रा में होता है।बैगन,फूलगोभी में यूरिक एसिड व प्यूरीन अधिक मात्रा में पाई जाती है।

*पथरी का घरेलू इलाज-*

1. जिस व्यक्ति को पथरी की समस्या हो उसे खूब केला खाना चाहिए क्योंकि केला विटामिन बी-6 का प्रमुख स्रोत है, जो ऑक्जेलेट क्रिस्टल को बनने से रोकता है व ऑक्जेलिक अम्ल को विखंडित कर देता है। इसके आलावा नारियल पानी का सेवन करें क्योंकि यह प्राकृतिक पोटेशियम युक्त होता है, जो पथरी बनने की प्रक्रिया को रोकता है और इसमें पथरी घुलती है।

2. कहने को करेला बहुत कड़वा होता है पर पथरी में यह भी रामबाण साबित होता है| करेले में पथरी न बनने वाले तत्व मैग्नीशियम तथा फॉस्फोरस होते हैं और वह गठिया तथा मधुमेह रोगनाशक है। जो खाए चना वह बने बना। पुरानी कहावत है। चना पथरी बनने की प्रक्रिया को रोकता है।

3. गाजर में पायरोफॉस्फेट और पादप अम्ल पाए जाते हैं जो पथरी बनने की प्रक्रिया को रोकते हैं। गाजर में पाया जाने वाला केरोटिन पदार्थ मूत्र संस्थान की आंतरिक दीवारों को टूटने-फूटने से बचाता है।

4. इसके अलावा नींबू का रस एवं जैतून का तेल मिलकर तैयार किया गया मिश्रण गुर्दे की पथरी को दूर करने में बहुत हीं कारगर साबित होता है। 60 मिली लीटर नींबू के रस में उतनी हीं मात्रा में जैतून का तेल मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें। इनके मिश्रण का सेवन करने के बाद भरपूर मात्रा में पानी पीते रहें।
इस प्राकृतिक उपचार से बहुत जल्द हीं आपको गुर्दे की पथरी से निजात मिल जायेगी साथ हीं पथरी से होने वाली पीड़ा से भी आपको मुक्ति मिल जाएगी।

5. पथरी को गलाने के लिये अध उबला चौलाई का साग दिन में थोडी थोडी मात्रा में खाना हितकर होता है, इसके साथ आधा किलो बथुए का साग तीन गिलास पानी में उबाल कर कपडे से छान लें, और बथुये को उसी पानी में अच्छी तरह से निचोड कर जरा सी काली मिर्च जीरा और हल्का सा सेंधा नमक मिलाकर इसे दिन में चार बार पीना चाहिये, इस प्रकार से गुर्दे के किसी भी प्रकार के दोष और पथरी दोनो के लिए साग बहुत उत्तम माने गये है।

6. जीरे को मिश्री की चासनी अथवा शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है। इसके अलावा तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फ़ंसी पथरी निकल जाती है।

7. एक मूली को खोखला करने के बाद उसमे बीस बीस ग्राम गाजर शलगम के बीज भर दें, फ़िर मूली को गर्म करके भुर्ते की तरह भून लें, उसके बाद मूली से बीज निकाल कर सिल पर पीस लें,सुबह पांच या छ: ग्राम पानी के साथ एक माह तक पीते रहे, पथरी में लाभ होगा|

8. प्याज में पथरी नाशक तत्व होते हैं। करीब 70 ग्राम प्याज को अच्छी तरह पीसकर या मिक्सर में चलाकर पेस्ट बनालें। इसे कपडे से निचोडकर रस निकालें। सुबह खाली पेट पीते रहने से पथरी छोटे-छोटे टुकडे होकर निकल जाती है।

9. पहाडी कुल्थी और शिलाजीत दोनो एक एक ग्राम को दूध के साथ सेवन करने पथरी निकल जाती है

10. एक मूली को खोखला करने के बाद उसमे बीस बीस ग्राम गाजर शलगम के बीज भर दें,फ़िर मूली को गर्म करके भुर्ते की तरह भून लें,उसके बाद मूली से बीज निकाल कर सिल पर पीस लें,सुबह पांच या छ: ग्राम पानी के साथ एक माह तक पीते रहे,पथरी और पेशाब वाली बीमारियों में फ़ायदा मिलेगा।

11. सूखे आंवले को नमक की तरह से पीस लें,उसे मूली पर लगाकर चबा चबा कर खायें,सात दिन के अन्दर पथरी पेशाब के रास्ते निकल जायेगी,सुबह खाली पेट सेवन करने से और भी फ़ायदा होता है।

12. तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फ़ंसी पथरी निकल जाती है।

13. पखानबेद नाम का एक पौधा होता है! उसे पथरचट भी कुछ लोग बोलते है! उसके पत्तों को पानी मे उबाल कर काढ़ा बना ले! मात्र 7 से 15 दिन मे पूरी पथरी खत्म!! और कई बार तो इससे भी जल्दी खत्म हो जाती

14. बथुआ को पानी में उबालकर इसके रस में नींबू, नमक व जीरा मिलाकर नियमित पीने से पेशाब में जलन, पेशाब के समय दर्द तथा पथरी दूर होती है।

16. पथरी से बचाव के लिये रातभर मक्के के बाल (सिल्क) को पानी में भिगाकर सुबह सिल्क हटाकर पानी पीने से लाभ होता है। पथरी के उपचार में सिल्क को पानी में उबालकर बनाये गये काढे का प्रयोग होता है।

17. आम के ताजा पत्ते छाया में सुखाकर, बारीक पीस कर आठ ग्राम मात्रा पानी मे मिलाकर प्रात: काल प्रतिदिन लेने से पथरी समाप्त हो सकती है।

18. दो अन्जीर एक गिलास पानी मे उबालकर सुबह के वक्त पीयें। एक माह तक लेना जरूरी है।




19. कुलथी की दाल का सूप पीने से पथरी निकलने के प्रमाण मिले है। २० ग्राम कुलथी दो कप पानी में उबालकर काढा बनालें। सुबह के वक्त और रात को सोने से पहिले पीयें।एक-दो सप्ताह में गुर्दे तथा मूत्राशय की पथरी गल कर बिना ऑपरेशन के बाहर आ जाती है, लगातार सेवन करते रहना राहत देता है।
कुल्थी का पानी विधिवत लेने से गुर्दे और मूत्रशय की पथरी निकल जाती है और नयी पथरी बनना भी रुक जाता है। किसी साफ सूखे, मुलायम कपड़े से कुल्थी के दानों को साफ कर लें। किसी पॉलीथिन की थैली में डाल कर किसी टिन में या कांच के मर्तबान में सुरक्षित रख लें।


           *कुल्थी का पानी बनाने की विधि:*किसी कांच के गिलास में 250 ग्राम पानी में 20 ग्राम कुल्थी डाल कर ढक कर रात भर भीगने दें। प्रात: इस पानी को अच्छी तरह मिला कर खाली पेट पी लें। फिर उतना ही नया पानी उसी कुल्थी के गिलास में और डाल दें, जिसे दोपहर में पी लें। दोपहर में कुल्थी का पानी पीने के बाद पुन: उतना ही नया पानी शाम को पीने के लिए डाल दें।इस प्रकार रात में भिगोई गई कुल्थी का पानी अगले दिन तीन बार सुबह, दोपहर, शाम पीने के बाद उन कुल्थी के दानों को फेंक दें और अगले दिन यही प्रक्रिया अपनाएं। महीने भर इस तरह पानी पीने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी धीरे-धीरे गल कर निकल जाती है।

20. स्टूल पर चढकर १५-२० बार फ़र्श पर कूदें। पथरी नीचे खिसकेगी और पेशाब के रास्ते निकल जाएगी। निर्बल व्यक्ति यह प्रयोग न करें।

21. दूध व बादाम का नियमित सेवन से पथरी की संभावना कम होती है।

22. गोखरू 10 ग्राम, जल 150 ग्राम, दूध 250 ग्राम को पकाकर आधा रह जाने पर छानकर नित्य पिलाने से मूत्र मार्ग की सारी विकृतियाँ दूर होती हैं ।

23. गिलास अनन्नास का रस, १ चम्मच मिश्री डालकर भोजन से पूर्व लेने से पिशाब खुलकर आता है और पिशाब सम्बन्धी अन्य समस्याए दूर होती है

24. पथरी होने पर नारियल का पानी पीना चाहिए।इसमें जैविक परमाणु होते हैं जो खनिज पदार्थो को उत्पन्न होने से रोकते हैं .

25. 15 दाने बडी इलायची के एक चम्मच, खरबूजे के बीज की गिरी और दो चम्मच मिश्री, एक कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम दो बार पीने से पथरी निकल जाती है।

26. पका हुआ जामुन पथरी से निजात दिलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पथरी होने पर पका हुआ जामुन खाना चाहिए।
27. सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे की पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है।

28. मिश्री, सौंफ, सूखा धनिया लेकर 50-50 ग्राम मात्रा में लेकर डेढ लीटर पानी में रात को भिगोकर रख दीजिए। अगली शाम को इनको पानी से छानकर पीस लीजिए और पानी में मिलाकर एक घोल बना लीजिए, इस घोल को पी‍जिए। पथरी निकल जाएगी।

29.तीन हल्की कच्ची भिंड़ी को पतली-पतली लम्बी-लम्बी काट लें। कांच के बर्तन में दो लीटर पानी में कटी हुई भिंड़ी ड़ाल कर रात भर के लिए रख दें। सुबह भिंड़ी को उसी पानी में निचोड़ कर भिंड़ी को निकाल लें। ये सारा पानी दो घंटों के अन्दर-अन्दर पी लें। इससे किड़नी की पथरी से छुटकारा मिलता है।

30. महर्षि सुश्रुत के अनुसार सात दिन तक गौदुग्ध के साथ गोक्षुर पंचांग का सेवन कराने में पथरी टूट-टूट कर शरीर से बाहर चली जाती है । मूत्र के साथ यदि रक्त स्राव भी होतो गोक्षुर चूर्ण को दूध में उबाल कर मिश्री के साथ पिलाते हैं ।

31. पतंजलि का दिव्य वृक्कदोष हर क्वाथ १० ग्राम ले कर डेढ़ ग्लास पानी में उबाले .चौथाई शेष रह जाने पर सुबह खाली पेट और दोपहर के भोजन के ५-६ घंटे बाद ले .इसके साथ अश्मरिहर रस के सेवन से लाभ होगा . जिन्हें बार बार पथरी बनाने की प्रवृत्ति है उन्हें यह कुछ समय तक लेना चाहिए

*लिथोट्रिप्सी तकनीक*
Lithotripsy technology
पहले पथरी हो जाने पर बड़ा ऑपरेशन ही उसका अंतिम उपाय होता था, लेकिन अब नई तकनीक लिथोट्रिप्सी आ गई है। इससे पथरी का इलाज आसानी से किया जा सकता है । लिथोट्रिप्सी तकनीक के बारे में विस्तृत जानकारी दे रहे हैं , रायपुर स्टोन क्लीनिक के सर्जन डॉ. कमलेश अग्रवाल ।


क्या है लिथोट्रिप्सी तकनीक ?
लिथोट्रिप्सी चिकित्सा जगत की आधुनिक तकनीकों में से एक है गुर्दे की पथरी के इलाज में इसका उपयोग किय जाता है । लिथोट्रिप्सी दो शब्दों से मिलकर बना है । लिथो का अर्थ है स्टोन या पथरी और ट्रिप्सी का अर्थ है तोड़ना । लिथोट्रिप्सी बिना शल्य क्रिया के पथरी को तोड़कर छोटे-छोटे टुकड़ो के रुप में शरीर से बाहर निकालने की आसान व सुरक्षित विधि है ।


प्रकिया
लिथोट्रिप्सी तकनीक द्वारा गुर्दे, मूत्राशय एवं मूत्रनली में स्थित किसी भी आकार की पथरी को चूरा करके बहुत आसानी से कम समय में निकाला जाता है । लिथोट्रिप्सर नामक मशीन द्वारा ध्वनि तरंगें उत्पन्न करके उस स्थान पर प्रेषित की जाती है , जहाँ पर पथरी होती हैं । ये ध्वनि तरंगें अल्ट्रा साउंड में प्रयुक्त ध्वनि तरंगों की तरह होती है । इन तरंगों द्वारा पथरी को तोड़कर रेत के समान बारीक कणों में बदल दिया जाता है । ये कण पेशाब के साथ आसानी से शरीर से बाहर निकल जाते हैं ।

इलाज के पूर्व परीक्षण
लिथोट्रिप्सी के इलाज से पूर्व सामान्य परीक्षण किये जाते हैं। यह एक आउटडोर प्रक्रिया है। इसमें मरीज को भर्ती होने की जरुरत नहीं होती। पूरी प्रक्रिया में करीब 30 से 40 मिनट तक का औसत समय लगता है।

तकनीक के फ़ायदे
लिथोट्रिप्सी द्वारा किसी भी आयु के मरीज का उपचार पूर्णतया सुरक्षित ढंग से किया जा सकता है ।
इसमें किसी तरह की शारीरिक-मानसिक परेशानी नहीं होती।
हृदयरोग, तपेदिक, उच्च रक्तचाप,मधुमेह,अस्थमा अथवा किसी क्रानिक बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए ये विधि उपयुक्त मानी जाती है , क्योंकि ऎसे मरीजों में शल्यक्रिया तुरंत करना संभव नहीं होता है ।
इस तकनीक में मरीज को रक्त की जरुरत नहीं होती,इसलिए किसी अन्य रोग के संक्रमण का खतरा नहीं रहता ।
शरीर में कहीं चीर-फाड़ नहीं की जाती, इस कारण कटनें का निशान नहीं पड़ता ।
लिथोट्रिप्सी मशीन से पित्तनली एवं पेनक्रियाण ग्रंथी का उपचार भी संभव है।

यह उपचार काफी सामान्य है और पूरी प्रक्रिया में कोई दवा अथवा दर्द निवारक इंजेक्शन का प्रयोग नहीं किया जाता ।

*सहायक उपचार-* हिमालय ड्रग कंपनी की सिस्टोन की दो गोलियां दिन में 2-3 बार प्रतिदिन लेने से शीघ्र लाभ होता है। कुछ समय तक नियमित सेवन करने से पथरी टूट-टूट कर बाहर निकल जाती है। यह मूत्रमार्ग में पथरी, मूत्र में क्रिस्टल आना, मूत्र में जलन आदि में दी जाती है।स्टोनिल कैप्सूल( हकीम हाशमी )एक 100% हर्बल जड़ी बूटी युक्त उपाय अपने को पूरी मूत्र प्रणाली के लिए एक टॉनिक के रूप में दोनों स्वस्थ और रोगग्रस्त गुर्दे के कामकाज और कार्य में सुधार करने की क्षमता के लिए जाना जाता है. यह हर्बल कैप्सूल गुर्दे में पत्थर गठन के एक आम स्वास्थ्य विकार, जो दुनिया में लोगों की काफी संख्या को प्रभावित करता है. उसका उपचार में सहायता करता है यह मुख्य रूप से कैल्शियम का संचय, फॉस्फेट, और गुर्दे में oxalate जो क्रिस्टल या पत्थर को निश्चित रूप से निकल बहार करता है .

आपको गुर्दे की पथरी जिन्हें बार-बार हो रही है उन्हें खान-पान में परहेज बरतना चाहिए, ताकि समस्या से बचा जा सकता है। साथ ही एक स्वस्थ व्यक्ति को तो प्रतिदिन 3-5 लीटर पानी पीना चाहिए| यदि किसी को एक बार पथरी की समस्या हुई, तो उन्हें यह समस्या बार-बार हो सकती है। अतः खानपान पर ध्यान रखकर पथरी की समस्या से निजात पाई जा सकती है।

*होमियोपैथिक चिकित्सा*
Homeopathic treatment of kidney stones

BERBERIS VULGARIS: इस होमियोपैथिक दवा  का मदर टिंचर  पेशाब के  पथरी में  बहुत उपयोगी  हैं।  इस दवा की 10-15 बूंदों को एक चौथाई (1/ 4) कप गुण गुने पानी मे मिलाकर दिन मे चार बार (सुबह,दोपहर,शाम और रात) लेना है। चार बार अधिक से अधिक और कमसे कम तीन बार|इसको लगातार एक से डेढ़ महीने तक लेना है कभी कभी दो महीने भी लग जाते है।
CHINA 1000: दुबारा पथरी न हो इसके लिए चाइना १००० कि शक्ति में केवल एक दिन तीन समय में खायें और पथरी से हमेशा के लिए छुटकारा पाएं।
CANTHARIS 6 : यदि पेशाब की  पेशाब में जल जाने जैसा जलन,वेग, कुथन इत्यादि रहे तो कैन्थेरिस से लाभ होगा। यह मूत्र पथरी की बहुमूल्य दवा  है।
SARSAPARILLA: इसमें पेशाब जल्दी जल्दी लगता है  और थोडा थोडा होता है। पेशाब के साथ छोटी छोटी पथरी निकलती हैं, गुर्दे में दर्द रहता है।पेशाब के अन्त में असह्य कष्ट होना, गर्म चीजों के सेवन से कष्ट बढ़ना, बैठ कर पेशाब करने में तकलीफ के साथ बूंद-बूंद करके पेशाब उतरना और खड़े होकर पेशाब करने पर आसानी से पेशाब उतरना यह सारसापेरिला के लक्षण हैं।
HEDEOMA: पेशाब में लाल रंग के बालू के कण कि तरह का पदार्थ निकलता है,यूरेटर में दर्द रहता है।

ARTICA URENCE: अर्टिका यूरेंस : यूरिक एसिड बनने की प्रवृति रोकने के लिए एवं यूरिक एसिड निर्मित पथरी के लिए, उक्त दवा के मूल अर्क का नियमित सेवन करना चाहिए।

LAYCOPODIUMलाइकोपोडियम :पेसाब में रेत के लाल कण दिखाई देना, दाई तरफ गुर्दे में दर्द होता है, पेशाब धीरे-धीरे होना एवं कमर में दर्द रहना, रोगी अकेला रहना पसंद नहीं करता, रात में बार-बार पेशाब होना आदि लक्षण मिलने पर पहले 30 शक्ति में एवं बाद में 200 शक्ति में दवा प्रयोग करनी चाहिए। इसमें प्रोस्टेट ग्रंथि भी बढ़ जाती है।

इन औषधियों के आलावा लक्षणानुसार हाइड्रेज़िया, डायस्कोरिया, ओसीमम कैनम, कैल्केरिया कार्ब आदि  होमियोपैथिक औषधियाँ लाभकारी हैं।
*गुर्दे की पथरी में योग और व्यायाम*

प्रतिदिन 30 मिनट व्यायाम करें। दौड़ना, बाइकिंग आदि आपकी हड्डियों से अतिरिक्त कैल्शियम निकलने से रोकते हैं।
प्रतिदिन 30 मिनट पैदल चलें।
योग
भुजंगासन,उष्ट्रासन करें साथ में यथायोग्य कुछ आसान प्राणायाम करें।
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
प्राकृतिक चिकित्सा में डिप्लोमा कर प्राकृतिक चिकित्सक बनें
*9714733653*
अहमदाबाद

Saturday, April 15, 2017

ऋग्वेद के अनुसार जो अनाज खेतों मे पैदा होता है, उसका बंटवारा तो देखिए... .

ऋग्वेद के अनुसार जो अनाज खेतों
 मे पैदा होता है, उसका बंटवारा तो देखिए...
 .
 .
1- जमीन से चार अंगुल भूमि का,
2- गेहूं के बाली के नीचे का पशुओं का,
3- पहली फसल की पहली बाली अग्नि की,
4- बाली से गेहूं अलग करने पर मूठ्ठी
 भर दाना पंछियो का,
5- गेहूं का आटा बनाने पर मुट्ठी भर आटा चीटियों का,
6- चुटकी भर गुथा आटा मछलियों का,
7- फिर उस आटे की पहली रोटी गौमाता की,
8- पहली थाली घर के बुज़ुर्ग़ो की
9- फिर हमारी थाली,
10- आखिरी रोटी कुत्ते की,
ये हमें सिखाती है , हमारी सनातन संस्कृति और.....

प्राचीन स्वास्थ्य दोहावली". body ko sahi rakhna ka tarika. kab kya khaye.

*"प्राचीन स्वास्थ्य दोहावली"* body ko sahi rakhne ka sahi tarika.



पानी में गुड डालिए, बीत जाए जब रात!
सुबह छानकर पीजिए, अच्छे हों हालात!!

*धनिया की पत्ती मसल, बूंद नैन में डार!*
दुखती अँखियां ठीक हों, पल लागे दो-चार!!

*ऊर्जा मिलती है बहुत, पिएं गुनगुना नीर!*
कब्ज खतम हो पेट की, मिट जाए हर पीर!!

*प्रातः काल पानी पिएं, घूंट-घूंट कर आप!*
बस दो-तीन गिलास है, हर औषधि का बाप!!

*ठंडा पानी पियो मत, करता क्रूर प्रहार!*
करे हाजमे का सदा, ये तो बंटाढार!!

*भोजन करें धरती पर, अल्थी पल्थी मार!*
चबा-चबा कर खाइए, वैद्य न झांकें द्वार!!

*प्रातः काल फल रस लो, दुपहर लस्सी-छांस!*
सदा रात में दूध पी, सभी रोग का नाश!!

*प्रातः- दोपहर लीजिये, जब नियमित आहार!*                                                  तीस मिनट की नींद लो, रोग न आवें द्वार!!

*भोजन करके रात में, घूमें कदम हजार!*
डाक्टर, ओझा, वैद्य का , लुट जाए व्यापार !!

*घूट-घूट पानी पियो, रह तनाव से दूर!*
एसिडिटी, या मोटापा, होवें चकनाचूर!!

*अर्थराइज या हार्निया, अपेंडिक्स का त्रास!*
पानी पीजै बैठकर,  कभी न आवें पास!!

*रक्तचाप बढने लगे, तब मत सोचो भाय!*
सौगंध राम की खाइ के, तुरत छोड दो चाय!!

*सुबह खाइये कुवंर-सा, दुपहर यथा नरेश!*
भोजन लीजै रात में, जैसे रंक सुरेश!!

*देर रात तक जागना, रोगों का जंजाल!*
अपच,आंख के रोग सँग, तन भी रहे निढाल^^

*दर्द, घाव, फोडा, चुभन, सूजन, चोट पिराइ!*
बीस मिनट चुंबक धरौ, पिरवा जाइ हेराइ!!

*सत्तर रोगों कोे करे, चूना हमसे दूर!*
दूर करे ये बाझपन, सुस्ती अपच हुजूर!!

*भोजन करके जोहिए, केवल घंटा डेढ!*
पानी इसके बाद पी, ये औषधि का पेड!!

*अलसी, तिल, नारियल, घी सरसों का तेल!*
यही खाइए नहीं तो, हार्ट समझिए फेल!

*पहला स्थान सेंधा नमक, पहाड़ी नमक सु जान!*
श्वेत नमक है सागरी, ये है जहर समान!!

*अल्यूमिन के पात्र का, करता है जो उपयोग!*
आमंत्रित करता सदा, वह अडतालीस रोग!!

*फल या मीठा खाइके, तुरत न पीजै नीर!*
ये सब छोटी आंत में, बनते विषधर तीर!!

*चोकर खाने से सदा, बढती तन की शक्ति!*
गेहूँ मोटा पीसिए, दिल में बढे विरक्ति!!

*रोज मुलहठी चूसिए, कफ बाहर आ जाय!*
बने सुरीला कंठ भी, सबको लगत सुहाय!!

*भोजन करके खाइए, सौंफ,  गुड, अजवान!*
पत्थर भी पच जायगा, जानै सकल जहान!!

*लौकी का रस पीजिए, चोकर युक्त पिसान!*
तुलसी, गुड, सेंधा नमक, हृदय रोग निदान!

*चैत्र माह में नीम की, पत्ती हर दिन खावे !*
ज्वर, डेंगू या मलेरिया, बारह मील भगावे !!

*सौ वर्षों तक वह जिए, लेते नाक से सांस!*
अल्पकाल जीवें, करें, मुंह से श्वासोच्छ्वास!!

*सितम, गर्म जल से कभी, करिये मत स्नान!*
घट जाता है आत्मबल, नैनन को नुकसान!!

*हृदय रोग से आपको, बचना है श्रीमान!*
सुरा, चाय या कोल्ड्रिंक, का मत करिए पान!!

*अगर नहावें गरम जल, तन-मन हो कमजोर!*
नयन ज्योति कमजोर हो, शक्ति घटे चहुंओर!!

*तुलसी का पत्ता करें, यदि हरदम उपयोग!*
मिट जाते हर उम्र में,तन में सारे रोग। 🌸

*कृपया इस जानकारी को जरूर आगे बढ़ाएं*
पानी में गुड डालिए, बीत जाए जब रात!
सुबह छानकर पीजिए, अच्छे हों हालात!!

*धनिया की पत्ती मसल, बूंद नैन में डार!*
दुखती अँखियां ठीक हों, पल लागे दो-चार!!

*ऊर्जा मिलती है बहुत, पिएं गुनगुना नीर!*
कब्ज खतम हो पेट की, मिट जाए हर पीर!!

*प्रातः काल पानी पिएं, घूंट-घूंट कर आप!*
बस दो-तीन गिलास है, हर औषधि का बाप!!

*ठंडा पानी पियो मत, करता क्रूर प्रहार!*
करे हाजमे का सदा, ये तो बंटाढार!!

*भोजन करें धरती पर, अल्थी पल्थी मार!*
चबा-चबा कर खाइए, वैद्य न झांकें द्वार!!

*प्रातः काल फल रस लो, दुपहर लस्सी-छांस!*
सदा रात में दूध पी, सभी रोग का नाश!!

*प्रातः- दोपहर लीजिये, जब नियमित आहार!*                                                  तीस मिनट की नींद लो, रोग न आवें द्वार!!

*भोजन करके रात में, घूमें कदम हजार!*
डाक्टर, ओझा, वैद्य का , लुट जाए व्यापार !!

*घूट-घूट पानी पियो, रह तनाव से दूर!*
एसिडिटी, या मोटापा, होवें चकनाचूर!!

*अर्थराइज या हार्निया, अपेंडिक्स का त्रास!*
पानी पीजै बैठकर,  कभी न आवें पास!!

*रक्तचाप बढने लगे, तब मत सोचो भाय!*
सौगंध राम की खाइ के, तुरत छोड दो चाय!!

*सुबह खाइये कुवंर-सा, दुपहर यथा नरेश!*
भोजन लीजै रात में, जैसे रंक सुरेश!!

*देर रात तक जागना, रोगों का जंजाल!*
अपच,आंख के रोग सँग, तन भी रहे निढाल^^

*दर्द, घाव, फोडा, चुभन, सूजन, चोट पिराइ!*
बीस मिनट चुंबक धरौ, पिरवा जाइ हेराइ!!

*सत्तर रोगों कोे करे, चूना हमसे दूर!*
दूर करे ये बाझपन, सुस्ती अपच हुजूर!!

*भोजन करके जोहिए, केवल घंटा डेढ!*
पानी इसके बाद पी, ये औषधि का पेड!!

*अलसी, तिल, नारियल, घी सरसों का तेल!*
यही खाइए नहीं तो, हार्ट समझिए फेल!

*पहला स्थान सेंधा नमक, पहाड़ी नमक सु जान!*
श्वेत नमक है सागरी, ये है जहर समान!!

*अल्यूमिन के पात्र का, करता है जो उपयोग!*
आमंत्रित करता सदा, वह अडतालीस रोग!!

*फल या मीठा खाइके, तुरत न पीजै नीर!*
ये सब छोटी आंत में, बनते विषधर तीर!!

*चोकर खाने से सदा, बढती तन की शक्ति!*
गेहूँ मोटा पीसिए, दिल में बढे विरक्ति!!

*रोज मुलहठी चूसिए, कफ बाहर आ जाय!*
बने सुरीला कंठ भी, सबको लगत सुहाय!!

*भोजन करके खाइए, सौंफ,  गुड, अजवान!*
पत्थर भी पच जायगा, जानै सकल जहान!!

*लौकी का रस पीजिए, चोकर युक्त पिसान!*
तुलसी, गुड, सेंधा नमक, हृदय रोग निदान!

*चैत्र माह में नीम की, पत्ती हर दिन खावे !*
ज्वर, डेंगू या मलेरिया, बारह मील भगावे !!

*सौ वर्षों तक वह जिए, लेते नाक से सांस!*
अल्पकाल जीवें, करें, मुंह से श्वासोच्छ्वास!!

*सितम, गर्म जल से कभी, करिये मत स्नान!*
घट जाता है आत्मबल, नैनन को नुकसान!!

*हृदय रोग से आपको, बचना है श्रीमान!*
सुरा, चाय या कोल्ड्रिंक, का मत करिए पान!!

*अगर नहावें गरम जल, तन-मन हो कमजोर!*
नयन ज्योति कमजोर हो, शक्ति घटे चहुंओर!!

*तुलसी का पत्ता करें, यदि हरदम उपयोग!*
मिट जाते हर उम्र में,तन में सारे रोग। 🌸

. लू लगना ishko Lange se bimariya hoti hai.

. लू लगना ishko Lange se bimariya hoti hai.


लू लगने से मृत्यु क्यों होती है?


हम सभी धूप में घूमते हैं फिर कुछ लोगो की ही धूप में जाने के कारण अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है?

👉 हमारे शरीर का तापमान हमेशा 37° डिग्री सेल्सियस होता है, इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते है।

👉 पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37° सेल्सियस टेम्प्रेचर मेंटेन रखता है, लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत जरुरी और आवश्यक है।

👉 पानी शरीर में इसके अलावा भी बहुत कार्य करता है, जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना टालता है।( बंद कर देता है )

👉 जब बाहर का टेम्प्रेचर 45° डिग्री के पार हो जाता है  और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37° डिग्री से ऊपर पहुँचने लगता है।

👉 शरीर का तापमान जब 42° सेल्सियस तक पहुँच जाता है तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त मे उपस्थित प्रोटीन  पकने लगता है .

👉  स्नायु कड़क होने लगते है इस दौरान सांस लेने के लिए जरुरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते हैं।

👉 शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है, ब्लडप्रेशर low हो जाता है, महत्वपूर्ण अंग  (विशेषतः ब्रेन ) तक ब्लड सप्लाई रुक जाती है।

👉 व्यक्ति कोमा में चला जाता है और उसके शरीर के एक- एक अंग कुछ ही क्षणों में काम करना बंद कर देते हैं, और उसकी मृत्यु हो जाती है।

👉गर्मी के दिनों में ऐसे अनर्थ टालने के लिए  लगातार थोडा थोडा पानी पीते रहना चाहिए, और हमारे शरीर का तापमान 37° मेन्टेन किस तरह रह पायेगा इस ओर  ध्यान देना चाहिए।
Equinox phenomenon: इक्विनॉक्स प्रभाव आने वाले दिनों में भारत को प्रभावित करेगा।

कृपया 12 से 3 के बीच ज्यादा से ज्यादा घर, कमरे या ऑफिस के अंदर रहने का प्रयास करें।

तापमान 40 डिग्री के आस पास विचलन की अवस्था मे रहेगा।

यह परिवर्तन शरीर मे निर्जलीकरण और सूर्यातप की स्थिति उत्पन्न कर देगा।

(ये प्रभाव भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर सूर्य चमकने के कारण पैदा होता है।)

कृपया स्वयं को और अपने जानने वालों को पानी की कमी से ग्रसित न होने दें।

किसी भी अवस्था मे कम से कम 3 ली. पानी जरूर पियें।किडनी की बीमारी वाले प्रति दिन कम से कम 6 से 8 ली.  पानी जरूर लें।

जहां तक सम्भव हो ब्लड प्रेशर पर नजर रखें। किसी को भी हीट स्ट्रोक हो सकता है।

ठंडे पानी से नहाएं। मांस का प्रयोग छोड़ें या कम से कम करें।

फल और सब्जियों को भोजन मे ज्यादा स्थान दें।

हीट वेव कोई मजाक नही है।

एक बिना प्रयोग की हुई मोमबत्ती को कमरे से बाहर या खुले मे रखें, यदि मोमबत्ती पिघल जाती है तो ये गंभीर स्थिति है।

शयन कक्ष और अन्य कमरों मे 2 आधे पानी से भरे ऊपर से खुले पात्रों को रख कर  कमरे की नमी बरकरार रखी जा सकती है।

अपने होठों और आँखों को नम रखने का प्रयत्न करें।

जनहित मे इस सन्देश को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करें।

Friday, April 14, 2017

- व्यावहारिक संस्कृत शब्दावली -

ॐहरिॐ
- व्यावहारिक संस्कृत शब्दावली -

  खराब मनुष्य - दुर्जन: / खलः / कापुरूष:

परस्त्री के साथ संबंध रखनेवाला – पारदारिक

आगे रहनेवाला – पुरश्चर: / अग्रेसर: / पुरोग: / पुरोगमः / नायक: / नेतृ / पुरोगामीन्

शिष्य का शिष्य - प्रशिष्य

दारू नशाखोर - मद्यपः

व्यभिचारी पुरुष – लम्पट: / लुब्धकः

परदेशी - वैदेशिक:

नया छात्र – शैक्षः

कदर करनेवाला - रसज्ञ: / सहृदय:

आग बुझानेवाला - अग्निशामक:

स्टेनोग्राफर – आशुलिपिक:

फासी देनेवाला - वधकः

इलाका = क्षेत्रम् / विस्तार:

इकाई – घटक:

अजब - विचित्रम्

मरनेवाला - मरणासन्न:

मरम्मत – समीकरणम्

जंजाल – व्यामोह:

मरीज – रोगी

बापदादा - पूर्वजा:

बालिग - वयस्क:

नाबालिग – किशोरावस्था

दिक्कत - काठिन्यम्

कुर्बानी - त्याग

कुली – भारिक:

कैदी - बंधक:
डॉ संध्या ठाकुर

                ।। संस्कृत - हिन्दी शब्दकोश: ।।

एतदीयः - इसका,
 तदीयः - उसका,
यदीयः - जिसका,
 परकीयः (अन्यदीयः) - दूसरे का,
 आत्मीयः (स्वकीयः, स्वीयः) - अपना।

महत् - महान्,
यावत् - जितना
 तावत् - उतना,
 कियत् - कितना,
एतावत् (इयत्) - इतना।

तत्र - वहाँ,
अत्र - यहाँ,
 कुत्र - कहाँ,
 यत्र - जहाँ,
कुत्रापि - कहीं भी,
अन्यत्र - दूसरे स्थान पर,
 सर्वत्र - सब स्थानों पर,
उभयत्र - दोनों स्थानों पर,
 अत्रैव - यहीं पर
तत्रैव - वहीं पर,
यत्र-कुत्रापि - जहाँ­ कहीं भी,

इतः - यहाँ से,
 ततः - वहाँ से,
 कुतः - कहाँ से,
 कुतश्चित् - कहीं से,
यतः - जहाँ से,
 इतस्ततः - इधर-उधर,
सर्वतः - सब ओर से,
 उभयतः - दोनों ओर से,

उपरि - ऊपर,
अधः - नीचे,
अग्रे, (पुरः, पुरस्तात्) - आगे,
पश्चात् - पीछे,
बहिः - बाहर,
 अन्तः - भीतर
उपरि-अधः - ऊपर-नीचे,

इदानीम् (सम्प्रति, अधुना) - अब / इस समय,
 तदा / तदानीम् - तब / उस समय,
कदा - कब
यदा - जब,
 सदा (सर्वदा) - हमेशा,
एकदा - एक समय
कदाचित् - कभी,
 क्व - कब
 क्वापि - कभी भी,
सद्यः - तत्काल (अतिशीघ्र)
 पुनः - फिर
 अद्य - आज
 अद्यैव - आज ही,
अद्यापि - आज भी,

श्वः - आने वाला कल
 ह्यः - बीता हुआ कल,
 परश्वः - आने वाला परसों
 परह्य: - बीता हुआ परसों
 प्रपरश्वः - आने वाला नरसों
प्रपरह्य: - बीता हुआ नरसों,

शीघ्रम् - जल्दी,
शनैः शनैः - धीरे-धीरे,
 पुनः पुनः - बार-बार,
 युगपत् - एक ही समय में,
सकृत् - एक बार
असकृत् - अनेक बार,
अनन्तरम् - इसके बाद,
कियत् कालम् - कब तक,
एतावत् कालम् - अब तक,
 तावत् कालम् - तब तक,
 यावत् कालम् - जब तक,
अद्यावधि - आज तक,

कथम् - कैसे / किस प्रकार
 इत्थम् - ऐसे / इस प्रकार,
यथा - जैसे,
 तथा - वैसे / उस प्रकार,
सर्वथा - सब तरह से,
अन्यथा - नहीं तो / अन्य प्रकार से,
 कथञ्चित्, कथमपि - किसी भी प्रकार से,
 यथा यथा - जैसे-जैसे,
 तथा-तथा - वैसे-वैसे,
यथा-कथञ्चित् - जिस किसी प्रकार से,
 तथैव - उसी प्रकार,
बहुधा / प्रायः - अक्सर।

स्वयम् - खुद,
 वस्तुतः - असल में,
कदाचित् (सम्भवतः) - शायद
, सम्यक् - अच्छी तरह,
सहसा (अकस्मात्) - अचानक,
वृथा - व्यर्थ,
समक्षम् (प्रत्यक्षम्) - सामने­
, मन्दम् - धीरे,
 च - और,
 अपि - भी
, वा / अथवा - या
, किम् - क्या,
प्रत्युत (अपितु) - बल्कि,
 यतः - चूँकि,
यत् - कि,
यदि - अगर,
तथापि - तो भी / फिर भी,

हि - क्योंकि,
 विना - बिना,
ऋते - सिवाय / के बिना,
कृते - के लिए / वास्त
सह - साथ,
 प्रभृति - से लेकर,
पर्यन्तम् - तक, (यहाँ से यहाँ तक),
ईषत् - थोडा,

न - नहीं,
मा - मत,
अलम् - बस,
 आम् - हाँ,
बाढम् - बहुत अच्छा,
 अथ किम् - और क्या ॥॥

जयतु संस्कृतम् ॥

HomeAND TVIndia’s Asli Champion 2017…. Hai Dum! Contestants Name List & Registration India’s Asli Champion 2017…. Hai Dum! Contestants Name List & Registration

India's Asli Champion Contestants List 2017 - [Images & Biography]

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The Bollywood actor Suniel Shetty coming back with his New version reality Stunt show ‘India’s Asli Champion’. The show first promo is launched at AND TV channel. The show will test the physical and mental endurance of the contestants. Who are ready to compete for different walks of life then join for the title of India’s Asli Champion. The show will start soon on AND TV channel. India’s Asli Champion Contestants list 2017 announce shortly, Please check back again.

The Host of the show Suniel Shetty said in his interview, “It will test the contestants’ will power to go that extra mile when their physical strength gives up”.

India's Asli Champion Contestants List 2017 - [Images & Biography]
The Bollywood actor Suniel Shetty coming back with his New version reality Stunt show ‘India’s Asli Champion’. The show first promo is launched at AND TV channel. The show will test the physical and mental endurance of the contestants. Who are ready to compete for different walks of life then join for the title of India’s Asli Champion. The show will start soon on AND TV channel. India’s Asli Champion Contestants list 2017 announce shortly, Please check back again.

The Host of the show Suniel Shetty said in his interview, “It will test the contestants’ will power to go that extra mile when their physical strength gives up”.

India's Asli Champion Contestants List 2017 - [Images & Biography]

India’s Asli Champion Contestants List 2017
The head of the AND TV channel, Rajesh Iyer has said “India’s Asli Champion is a different format show in this show Suniel will highlight the next level of mental and physical endurance in participants. Suniel is itself hosting the show, he have the passion for the fitness, it makes him an apt choice to lead the show. The India’s Asli Champion Contestants List will announce soon. The Common man can also apply in the show, registration details update soon.

India’s Asli Champion Contestants List 2017
The head of the AND TV channel, Rajesh Iyer has said “India’s Asli Champion is a different format show in this show Suniel will highlight the next level of mental and physical endurance in participants. Suniel is itself hosting the show, he have the passion for the fitness, it makes him an apt choice to lead the show. The India’s Asli Champion Contestants List will announce soon. The Common man can also apply in the show, registration details update soon.

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डॉ.अम्बेडकर की जन्मजयंती पर सामाजिक समता के शिल्पकार थे बाबा साहेब डॉ.भीमराव अम्बेडकर।

डॉ.अम्बेडकर की जन्मजयंती पर सामाजिक समता के शिल्पकार थेबाबा साहेब डॉ.भीमराव अम्बेडकर।

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🎁अम्बेडकर वर्णव्यवस्था पर आधारित सामाजिक व्यवस्था के घोर विरोधी थे। उनकी मान्यता है सम्पूर्ण समाज को चार वर्गों में विभाजित करना श्रम-विभाजन की वैज्ञानिक योजना नहीं है। प्रारम्भ में हिन्दू समाज के केवल तीन वर्ण ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्य ही अस्तित्व में थे। शूद्र कोई पृथक वर्ण न होकर क्षत्रिय वर्ण का ही एक भाग था। भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन के इतिहास की दृष्टि से महात्मा गांधी ने सत्याग्रह से अनुप्रेरित अपने अहिंसक जन-आन्दोलन के द्वारा जहां एक ओर देश को ब्रिटिश साम्राज्यवाद की दासता से मुक्त कराया तो वहां दूसरी ओर बाबा साहेब ने सामाजिक परिवर्तन के आन्दोलन से हजारों वर्षों से उत्पीडित दलित वर्ग को स्वाधीनता एवं स्वाभिमान से जोड़ने का महान् कार्य किया।🎁
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भारतीय संविधान के निर्माता भारतरत्न बाबा साहेब डॉ.भीमराव अम्बेडकर भारत में एक ऐसे वर्ग विहीन समाज की संरचना चाहते थे जिसमें जातिवाद, वर्गवाद, सम्प्रदायवाद तथा ऊँच-नीच का भेद नहीं हो और प्रत्येक मनुष्य अपनी अपनी योग्यता के अनुसार सामाजिक दायित्वों का निर्वाह करते हुए स्वाभिमान और सम्मानपूर्ण जीवन जी सके। दलितों को स्वावलम्बी बनाने के लिए अम्बेडकर ने दलित समाज को त्रिसूत्री आचार संहिता प्रदान की जिसके तीन सूत्र हैं - शिक्षित बनो, संगठित होओ तथा संघर्ष करो। बाबा साहेब ने इस त्रिसूत्री आन्दोलन के माध्यम से समाज के उपेक्षित,कमजोर तथा सदियों से सामाजिक शोषण से संत्रस्त दलित वर्ग को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने का अभूतपूर्व कार्य ही नहीं किया बल्कि एक समाज सुधारक विधिवेत्ता की हैसियत से भी उन्होंने दलित वर्ग को भारतीय संविधान में समानता के कानूनी अधिकार प्रदान किए।
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भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन के इतिहास की दृष्टि से महात्मा गांधी ने सत्याग्रह से अनुप्रेरित अपने अहिंसक जन-आन्दोलन के द्वारा जहां एक ओर देश को ब्रिटिश साम्राज्यवाद की दासता से मुक्त कराया तो वहां दूसरी ओर बाबा साहेब अम्बेडकर ने सामाजिक परिवर्तन के आन्दोलन से हजारों वर्षों से उत्पीडित दलित वर्ग को स्वाधीनता एवं स्वाभिमान से जोड़ने का महान् कार्य किया।
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एक सामाजिक और राजनैतिक विचारक के रूप में डॉ.अम्बेडकर ने स्वतन्त्रता प्राप्ति के तीस साल पहले से ही भारतीय जाति प्रथा की भयंकर विभीषिका को उजागर करना प्रारम्भ कर दिया था। उनका सबसे पहला शोध लेख सन् 1917 में ‘इन्डियन एंटीक्वैरी’ नामक शोधपत्रिका में प्रकाशित हुआ जिसके फलस्वरूप डॉ.अम्बेडकर एक प्रख्यात समाजशास्त्री तथा मानवशास्त्री के रूप में प्रसिद्ध हो गए। ‘कास्ट इन इन्डिया-देयर मैकेनिज्म जैनेसिस एण्ड डेवलैपमेंट’ अर्थात् ‘भारत में जाति-उनकी प्रणाली उत्पत्ति और विकास’ शीर्षक से प्रकाशित यह लेख 9 मई 1916 को डॉ.ए.ए. गोल्डवाइजर की अध्यक्षता में कोलम्बिया युनिवर्सिटी‚ न्यूयार्क‚ अमेरिका की एक संगोष्ठी में पढ़ा गया। ‘इन्डियन एंटीक्वैरी’ के जिस अंक में डॉ.अम्बेडकर का यह लेख प्रकाशित हुआ। उसी अंक में भारत में जाने माने प्राच्यविद्या मनीषी एल.डी.बरनैट के.पी.जायसवाल, आर.सी.मजूमदार, पी.वी. काणेवी.एस.सुकथन्कर आदि के लेख भी प्रकाशित हुए थे।
अम्बेडकर वर्णव्यवस्था पर आधारित सामाजिक व्यवस्था के घोर विरोधी थे। उनकी मान्यता है सम्पूर्ण समाज को चार वर्गों में विभाजित करना श्रम-विभाजन की वैज्ञानिक योजना नहीं है। प्रारम्भ में हिन्दू समाज के केवल तीन वर्ण ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्य ही अस्तित्व में थे। शूद्र कोई पृथक वर्ण न होकर क्षत्रिय वर्ण का ही एक भाग था। अम्बेडकर ने अपने इस मत के पक्ष में दो तर्क दिए। पहला यह कि ऋग्वेद के प्रक्षिप्त माने जाने वाले दसवें मण्डल के ‘पुरुषसूक्त’ को छोड़कर ऋग्वेद के सभी स्थलों में ब्राह्मण‚ क्षत्रिय और वैश्य तीन वर्णों का ही उल्लेख मिलता है और कहीं भी शूद्र वर्ण का पृथक उल्लेख नहीं मिलता। दूसरा तर्क यह है कि शतपथ और तैत्तिरीय ब्राह्मणों में केवल तीन वर्णों की उत्पत्ति का उल्लेख है और चौथे वर्ण की उत्पत्ति के विषय में कोई उल्लेख नहीं मिलता। अम्बेडकर ने अनेक विद्वानों का मत देते हुए चार वर्णों की उत्पत्ति को वैदिक आधार देने वाले ‘पुरुषसूक्त’ को प्रक्षिप्त स्वीकार किया है। गौतमबुद्ध के सिद्धान्तों और उपदेशों का अम्बेडकर के व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव पड़ा। डॉ. अम्बेडकर ने गौतमबुद्ध के विवेकवाद से प्रभावित होकर इस सत्य को आत्मसात कर लिया कि वैचारिक शुद्धि के लिए मस्तिष्क की शुद्धि अनिवार्य है तथा यही मस्तिष्क का शुद्धीकरण ही धर्म का सार है।
डॉ. अम्बेडकर गौतम बुद्ध के बाद अपना दूसरा गुरु सन्त कबीर को मानते थे। कबीर के विचारों से अम्बेडकर ने यह सन्देश ग्रहण किया कि सन्त और महात्मा बनना तो बहुत दूर की बात है किसी व्यक्ति के लिए पूर्ण अर्थों में मनुष्य बन जाना ही बहुत कठिन है। उन्होंने समाज सुधारकों में ज्योतिबा फूले के व्यक्तित्व एवं कार्यों से विशेष प्रेरणा ली है। फूले मानते थे कि कोई व्यक्ति जन्म से छोटा या बड़ा नहीं होता फूले स्त्रियों और शूद्रों को अनिवार्य शिक्षा देने के पक्षधर थे। डॉ.अम्बेडकर ने ज्योतिबा फूले के प्रति विशेष आस्थाभाव प्रकट करते हुए उन्हें अपनी पुस्तक 'हू आर द शूद्राज’ को समर्पित की। उन्हीं से प्रेरित होकर अम्बेडकर ने ‘हिन्दू कोड बिल’ के माध्यम से महिलाओं को उत्तराधिकार‚विवाह और अर्थव्यवस्था के कानूनों में लैंगिक समानता दिए जाने का प्रावधान किया था।
हिन्दू धर्म में समता भाव का प्रभावी तरीके से समर्थन और इसे व्यावहारिक धरातल पर चरितार्थ करने का जो कार्य विशिष्टाद्वैत के प्रवर्तक आचार्य रामानुजाचार्य ने किया डॉ.अम्बेडकर ने उसकी विशेष सराहना की है। वे कहते हैं कि रामानुजाचार्य ने ‘कांचीपूर्ण’ नामक अब्राह्मण व्यक्ति को अपना गुरु बनाकर दार्शनिक क्षेत्र में समतावाद का उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने तिरुवल्ली में एक चाण्डाल औरत को दीक्षा प्रदान की और उसकी मूर्ति बनाकर उसे मन्दिर में स्थापित किया। ‘धनुर्दास’ नामक अस्पृश्य को रामानुजाचार्य ने अपना शिष्य बनाया। कोलम्बिया विश्वविद्यालय में उनके शिक्षक रहे जान डिवे से प्रेरणा लेकर अम्बेडकर यह जान पाए कि शिक्षा केवल संसार को जानने का माध्यम ही नहीं होती बल्कि सामाजिक परिवर्तन की तकनीक भी शिक्षा ही सिखाती है।
डॉ.अम्बेडकर के मन में एक अखण्ड हिन्दुत्व की अवधारणा विद्यमान थी। यद्यपि अम्बेडकर बौद्ध धर्म की तत्त्वमीमांसा से प्रभावित होकर बौद्धानुयायी बन गए थे किन्तु जहां तक भारतीय संविधान में हिन्दुत्व की परिभाषा है‚ उसके अन्तर्गत जैन‚ बौद्ध तथा सिख हिन्दुओं के रूप में ही पारिभाषित किए गए हैं। डॉ.श्रीकृष्ण सेमवाल ने ‘भीमशतकम’ नामक काव्य में लिखा है -
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“हिन्दुवर्गसमाख्यानं विधाने यत्र दृश्यते।
जैनाः बौद्धाश्च सिख्खाश्च सर्वे तत्र सुयोजिताः।।”
-भीमशतक‚83
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डॉ.भीमराव अम्बेडकर के जीवनी लेखक सी.बी. खैरमोडे ने डॉ.अम्बेडकर के शब्दों को उदधृत करते हुए कहा है– ‘मुझ में और सावरकर में इस प्रश्न पर न केवल सहमति है बल्कि सहयोग भी है कि हिन्दू समाज को एकजुट और संगठित किया जाए और हिन्दुओं को अन्य मजहबों के आक्रमणों से आत्मरक्षा के लिए तैयार किया जाए।’ (ब्लिट्ज 15 मई‚ 1993)
डॉ. श्रीकृष्ण सेमवाल ने ‘भीमशतकम’ नामक काव्य के माध्यम से डॉ.अम्बेडकर के राष्ट्रवादी चरित्र को विशेष रूप से रेखांकित करते हुए अपनी विनम्र श्रद्धांजलि दी है -
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“राष्ट्रवादी महानेष भारतीयो गुणोत्तमः।
पवित्रः शुद्धिचित्तश्च भीमरावो विलोक्यते।।”
-भीमशतक‚ 80
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बाबा साहेब की जन्मजयंती के अवसर पर डॉ.भीमराव अम्बेडकर को शत शत नमन !!