Tuesday, May 8, 2018

भोजन द्वारा स्वास्थ्य*

*भोजन द्वारा स्वास्थ्य*

केला ::-
        ब्लडप्रेशर नियंत्रित करता है,
        हड्डियों को मजबूत बनाता है,
        हृदय की सुरक्षा करता है,
        अतिसार  में लाभदायक है,
        खांसी में हितकारी है।

जामुन ::- 
        केन्सर की रोक थाम ,
        हृदय की सुरक्षा,
        कब्ज मिटाता है,
        स्मरण शक्ति बढाता है,
        रक्त शर्करा नियंत्रित करता है,
        डायबीटीज में अति लाभदायक।

सेवफ़ल ::-
        हृदय की सुरक्षा करता है,
        दस्त रोकता है,
        कब्ज में फ़ायदेमंद है,
        फ़ेफ़डे की शक्ति बढाता है।

चुकंदर ::-
        वजन घटाता है,
        ब्लडप्रेशर नियंत्रित करता है,
        अस्थिक्छरण रोकता है,
        केंसर के विरुद्ध लडता है,
        हृदय की सुरक्षा करता है।

पत्ता गोभी ::-
       बवासीर में हितकारी है,
       हृदय रोगों में लाभदायक है,
       कब्ज मिटाता है,
       वजन घटाने  में सहायक है,
       केंसर में फ़ायदेमंद है।

गाजर ::-
       नेत्र ज्योति वर्धक है,
       केंसर प्रतिरोधक है,
       वजन घटाने में सहायक है,
       कब्ज मिटाता है,
       हृदय की सुरक्षा करता है।

फूल गोभी ::-
        हड्डियों को मजबूत बनाता है,
        स्तन केंसर से बचाव करता है,
        प्रोस्टेट ग्रंथि के केंसर में भी उपयोगी,
        चोंट, खरोंच ठीक करता है।

लहसुन:
        कोलेस्टरोल घटाती है,
        रक्त चाप घटाती है,
        कीटाणुनाशक है,
        केंसर से लडती है।

शहद ::-
       घाव भरने में उपयोगे है,
       पाचन क्रिया सुधारती है,
       एलर्जी रोगों में उपकारी है,
       अल्सर से मुक्तिकारक है,
       तत्काल स्फ़ूर्ती देती है।

नींबू ::-
       त्वचा को मुलायम बनाता है,
       केंसर अवरोधक है,
       हृदय की सुरक्षा करता है,
       ब्लड प्रेशर नियंत्रित करता है,
       स्कर्वी रोग नाशक है।

अंगूर ::-
        रक्त प्रवाह वर्धक है,
        हृदय की सुरक्षा करता है,
        केंसर से लडता है,
        गुर्दे की पथरी नष्ट करता है,
        नेत्र ज्योति वर्धक है।

आम ::-
        केंसर से बचाव करता है,
        थायराईड रोग में हितकारी है,
        पाचन शक्ति बढाता है,
        याददाश्त की कमजोरी में हितकर।

प्याज ::-
        फ़ंगस रोधी गुण हैं,
        हार्ट अटेक की रिस्क को कम करे,
        जीवाणु नाशक है,
        केंसर विरोधी है,
        खराब कोलेस्टरोल को घटाना।

अलसी के बीज ::-
        मानसिक शक्ति वर्धक है,
        रोग प्रतिकारक शक्ति को ताकत दे,
        डायबीटीज में उपकारी है,
        हृदय की सुरक्षा करता है,
        डायजेशन को ठीक करता है।

संतरा ::-
       हृदय की सुरक्षा करता है,
       रोग प्रतिकारक शक्ति उन्नत होना,
       श्वसन पथ के विकारों में लाभकारी,
       केंसर में हितकारी है।

टमाटर ::-
       कोलेस्टरोल कम करता है,
       प्रोस्टेट ग्रंथि के स्वास्थ्य के लिये उपकारी,
       केंसर से बचाव करता है,
       हृदय की सुरक्षा करता है।

पानी ::-
       गुर्दे की पथरी नाशक है,
       वजन घटाने में सहायक है,
       केंसर के विरुद्ध लडता है,
       त्वचा के चमक बढाता है।

अखरोट ::-
        मूड उन्नत करन में सहायक है,
        मेमोरी  पावर बढाता है,
        केंसर से लड सकता है,
        हृदय रोगों से बचाव करता है,
        कोलेस्टरोल घटाने मेँ मददगार है।

तरबूज ::-
       स्ट्रोक रोकने में उपयोगी है,
       प्रोस्टेट के स्वास्थ्य के लिये हितकारी है,
       रक्तचाप घटाता है,
       वजन कम करने में सहायक है

अंकुरित गेहूं ::-
       बडी आंत की केंसर से लडता है,
       कब्ज प्रतिकारक है,
       स्ट्रोक से रक्षा करता है,
       कोलेस्टरोल कम करता है,
       पाचन सुधारता है।

चावल ::-
       किडनी स्टोन में हितकारी है,
       डायबीटीज में लाभदायक है,
       स्ट्रोक से बचाव करता है,
       केंसर से लडता है,
       हृदय की सुरक्षा करता है।

आलू बुखारा ::-
        हृदय रोगों से बचाव करता है,
        बुढापा जल्द आने से रोकता है,
        याददाश्त बढाता है,
        कोलेस्टरोल घटाता है,
        कब्ज प्रतिकारक है।

पाइनेपल ::-
       अतिसार (दस्त) रोकता है,
       वार्ट्स (मस्से) ठीक करता है,
       सर्दी, ठंड से बचाव करता है,
       अस्थि क्छरण रोकता है ,
       पाचन सुधारता है।

जौ , जई  ::-
        कोलेस्टरोल घटाता है,
        केंसर से लडता है,
        डायबीटीज में उपकारी है,
        कब्ज प्रतिकारक् है ,
        त्वचा पर शाईनिंग लाता है।

अंजीर  ::-
        रक्त चाप नियंत्रित करता है,
        स्ट्रोक्स से बचाता है,
        कोलेस्टरोल कम करता है,
        केंसर से लडता है,
        वजन घटाने में सहायक है।

शकरकंद ::-
       आंखों की रोशनी बढाता है,
       मूड उन्नत करता है,
       हड्डिया बलवान बनाता है,
       केंसर     लडता है।
||जय श्री कृष्णा ||

Saturday, April 7, 2018

दूध पीने से पहले भूलकर भी इस चीज का सेवन ना करे, वरना हो सकती है यह बीमारी


दूध पीने से पहले भूलकर भी इस चीज का सेवन ना करे, वरना हो सकती है यह बीमारी

आज के समय में जैसे जैसे लोगों में जागरूकता बढती जा रही है लोग अपने स्वाथ्य को लेकर सचेत होते जा रहे हैं. सेहत के बारें में हर किसी को ध्यान रखना चाहिए. सेहत अगर सही नही होगी तो जीवन में कुछ भी हासिल नहीं कर सकते है. सीधे शब्दों में कहे तो इस बात में कोई दौ राय नहीं कि सेहत से बड़ा कोई धन नहीं होता. सबसे बड़ा प्रश्न ये है कि सेहत का ध्यान कैसे रखें. वर्तमान समय में व्यस्त क्रियाकलाप की वजह से सेहत का ध्यान नही रख मिलता है. शरीर में ज्यादातर बीमारियों का कारण सही खान पान न होना होता है सही खान पान न होने के कारण हजम सही नहीं रहता है आज के समय में दुनिया में पेट के रोगियों के तादाद दिनोदिन बढती जा रही है. जब भी सेहत का ध्यान रखने की बात होती है तो सब को दूध पिने की सलाह जरुर दी जाती है इसी कड़ी में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि दुश पीने से पहले किन चींजों को बिलकुल नहीं खाना चाहिए उससे नुकसान होता है. आइये जानते है इस बारे में विस्तार से…

कई आर आप ने दकेह होगा की कई बातों का बिना ध्यान दिय दूध पिने से शरीर पर इसके हानिकारक प्रभाव दिखाई देने लगते है. इसके लिए कई बार हमें घरेलू टिप्स भी दी जाती है लेकिन हम नजर अंदाज कर देते है. आपने सूना ही होगा की कभी भी ठंडा और गरम का सेवन एक साथ नहीं करना चाहिए| इससे शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है. इसलिए आपको दूध पीने से पहले या बाद में मछली और मीट का सेवन भुलाकर भी नहीं करना चाहिए. क्यूंकि यह शरीर में काफी गर्मी पैदा करती है. इससे आपको शरीर में सफ़ेद दाग और पेट संबंधी रोग हो सकते है. इससे वजह से विशेष ध्यान रखना चाहिए कि दूध पीते समय उन चीजो का सेवन भुलाकर भी नहीं करना चाहिए. जो शरीर में गर्मी पैदा करती है. क्यूंकि दूध में मौजूद एंटीओक्सिडेंट तत्व शरीर को अन्दर से ठंडा रखती है.

दूध पीने के बाद ना खाएं ये चीज़ें: जैसा कि हम सभी जानते ही हैं कि दूध पीना हमारे लिए कितना आवश्यक है. दूध में कईं प्रकार के पोषक तत्व जैसे कि प्रोटीन, कैल्शियम आदि भारी मात्रा में मौजूद रहते हैं. ये तत्व हमारी अच्छी हेल्थ के लिए बेहद फायदेमंद सिद्ध होते हैं. इसके इलावा हम आपको बता दें कि दूध में मौजूद कैल्शियम हमारे शरीर की हड्डियों के लिए बेहद जरूरी है. दरअसल, कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है और हमे घुटनों के दर्द, जोड़ों के दर्द आदि से छुटकारा दिलाता है.

गर्म दूध पीने से हमारी त्वचा में निखार आता है. दूध पीने का भी एक उचित समय होता है उस समय में किया गया दूध हमारी फिटनेस को बरकरार रखता है. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि ऐसी बहुत सारी चीजें हैं जिन्हें दूध पीने के तुरंत बाद नहीं खाना चाहिए अन्यथा आप को ल्यूकोडर्मा नामक गंभीर बीमारी हो सकती है. आज के इस आर्टिकल में हम आपको कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें आप दूध पीने के तुरंत बाद भूल से भी खाने की कोशिश ना करें वरना आपकी छोटी सी गलती आपको भारी पड़ सकती है.

मछली का सेवन ना करें
मछली खाना बहुत सारे लोगों को पसंद होता है. परंतु दूध पीने के तुरंत बाद मछली का सेवन भूल से भी मत करें. क्योंकि दूध और मछली में अलग-अलग प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं जो आपस में मिलने के कारण आपके शरीर पर हावी सिद्ध होते हैं जिसके फलस्वरुप आपको गंभीर बीमारी हो सकती है. ल्यूकोडर्मा नामक बीमारी दूध के बाद मछली सेवन करने से ही होती है इस बीमारी के चलते हमारी त्वचा का रंग सफेद पड़ने लगता है.

केला ना खाएं
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि केले में कई प्रकार के पोषक तत्व और प्रोटीन पाए जाते हैं. परंतु दूध के सेवन के तुरंत बाद केला भूल से भी ना खाएं क्योंकि ऐसा करने से आपको पाचन संबंधी कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं और आपका डाइजेस्टिव सिस्टम बिगड़ सकता है.

नींबू पानी का सेवन ना करें
नींबू में सिट्रस एसिड मौजूद रहता है. उदाहरण के तौर पर अगर आप नींबू को दूध में मिला दें तो दूध खराब हो जाएगा. ठीक ऐसे ही अगर आप नींबू और दूध का सेवन एक साथ करें तो इससे आपकी सेहत पर गलत असर पड़ सकता है. इसलिए आप भूल से भी दूध के साथ या फिर दूध के बाद नींबू का सेवन ना करें.

दही का सेवन ना करें
दही दूध से ही बनाया जाता है. लेकिन यदि आप दूध पीने के तुरंत बाद दही खा लेते हैं इससे आपको कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं और आप का रंग सफेद पड़ सकता है. केवल इतना ही नहीं बल्कि इससे आपकी त्वचा पर कील, मुहासे बन सकते हैं जिनसे छुटकारा पाना आपके लिए मुश्किल साबित हो सकता है.

इन सब के इलावा हम आपको बता दें कि दूध के साथ आप तिल, मूली, जामुन, दही रैयता आदि का सेवन ना करें. क्यूंकि ऐसा करना आपके लिए घटक सिद्ध हो सकता है.

Thursday, March 29, 2018

प्रमुख भारतीय लेखक एवं उनकी पुस्तके

प्रमुख भारतीय लेखक एवं उनकी पुस्तके ः
◆पंचतंत्र ~ विष्णु शर्मा
●प्रेमवाटिका ~ रसखान
●मृच्छकटिकम् ~ शूद्रक
●कामसूत्र् ~ वात्स्यायन
●दायभाग ~ जीमूतवाहन
●नेचुरल हिस्द्री ~ प्लिनी
●दशकुमारचरितम् ~ दण्डी
●अवंती सुन्दरी ~ दण्डी
●बुध्दचरितम् ~ अश्वघोष
●कादम्बरी् ~ बाणभटृ
●अमरकोष ~ अमर सिहं
●शाहनामा ~ फिरदौसी
●साहित्यलहरी ~ सुरदास
●सूरसागर ~ सुरदास
●हुमायूँनामा ~ गुलबदन बेगम
●नीति शतक ~ भर्तृहरि
●श्रृंगारशतक ~ भर्तृहरि
●वैरण्यशतक ~ भर्तृहरि
●हिन्दुइज्म ~ नीरद चन्द्र चौधरी
●पैसेज टू इंगलैंड ~ नीरद चन्द्र चौधरी
●अॉटोबायोग्राफी अॉफ ऐन अननोन इण्डियन ~ नीरद
चन्द्र चौधरी
●कल्चर इन द वैनिटी वैग ~ नीरद चन्द्र चौधरी
●मुद्राराक्षस ~ विशाखदत्त
●अष्टाध्यायी ~ पाणिनी
●भगवत् गीता ~ वेदव्यास
●महाभारत ~ वेदव्यास
●मिताक्षरा ~ विज्ञानेश्वर
●राजतरंगिणी ~ कल्हण
●अर्थशास्त्र ~ चाणक्य
●कुमारसंभवम् ~ कालिदास
●रघुवंशम् ~ कालिदास
●अभिज्ञान शाकुन्तलम् ~ कालिदास
●गीतगोविन्द ~ जयदेव
●मालतीमाधव ~ भवभूति
●उत्तररामचरित ~ भवभूति
●पद्मावत् ~ मलिक मो. जायसी
●आईने अकबरी ~अबुल फजल
●अकबरनामा ~अबुल फजल
●बीजक ~ कबीरदास
●रमैनी ~ कबीरदास
●सबद ~ कबीरदास
●किताबुल हिन्द ~ अलबरूनी
●कुली ~ मुल्कराज आनन्द
●कानफैंशंस अॉफ ए लव ~मुल्कराज आनन्द
●द डेथ अॉफ ए हीरो~मुल्कराज आनन्द
●जजमेंट ~ कुलदीप नैयर
●डिस्टेंन्ट नेवर्स~ कुलदीप नैयर
●इण्डिया द क्रिटिकल इयर्स~ कुलदीप नैयर
●इन जेल ~ कुलदीप नैयर
●इण्डिया आफ्टर नेहरू ~कुलदीप नैयर
●बिटवीन द लाइन्स ~कुलदीप नैयर
●चित्रांगदा ~रविन्द्र नाथ टैगौर
●गीतांजली~रविन्द्र नाथ टैगौर
●विसर्जन ~रविन्द्र नाथ टैगौर
●गार्डनर ~रविन्द्र नाथ टैगौर
●हंग्री स्टोन्स ~रविन्द्र नाथ टैगौर
●गोरा ~ रविन्द्र नाथ टैगौर
●चाण्डालिका~ रविन्द्र नाथ टैगौर
●भारत-भारती ~ मैथलीशरण गुप्त
●डेथ अॉफ ए सिटी~ अमृता प्रीतम
●कागज ते कैनवास~ अमृता प्रीतम
●फोर्टी नाइन डेज~ अमृता प्रीतम
●इन्दिरा गाँधी रिटर्नस ~खुशवंत सिहं
●दिल्ली ~खुशवंत सिहं
●द कम्पनी अॉफ वीमैन ~ खुशवंत सिहं
●सखाराम बाइण्डर ~ विजय तेंदुलकर
●इंडियन फिलॉस्पी ~डॉ. एस. राधाकृष्णन
●इंटरनल इंडिया ~इंदिरा गाँधी
●कामयानी ~जयशंकर प्रसाद
●आँसू ~ जयशंकर प्रसाद
●लहर ~ जयशंकर प्रसाद
●लाइफ डिवाइन ~अरविन्द घोष
●ऐशेज अॉन गीता ~अरविन्द घोष
●अनामिका ~सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
●परिमल ~सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
●यामा ~ महादेवी वर्मा
●ए वाइस अॉफ फ्रिडम ~नयन तारा सहगल
●एरिया अॉफ डार्कनेस ~वी. एस. नायपॉल
●अग्निवीणा ~ काजी नजरुल इस्लाम
●डिवाइन लाइफ ~ शिवानंद
●गोदान ~ प्रेमचन्द्र
●गबन ~ प्रेमचन्द्र
●कर्मभूमि ~ प्रेमचन्द्र
●रंगभूमि ~ प्रेमचन्द्र
●अनटोल्ड स्टोरी ~बी. एम. कौल
●कन्फ्रन्डेशन विद पाकिस्तान ~बी. एम. कौल
●कितनी नावों में कितनी बार ~अज्ञेय
●गोल्डेन थेर्सहोल्ड ~सरोजिनी नायडू
●ब्रोकेन विंग्स ~सरोजिनी नायडू
●दादा कामरेड ~ यशपाल
●पल्लव ~ सुमित्रानन्दन पंत्त
●चिदम्बरा~ सुमित्रानन्दन पंत्त
●कुरूक्षेत्र ~रामधारी सिहं 'दिनकर'
●उर्वशी ~रामधारी सिहं 'दिनकर'
●द डार्क रूम ~आर. के. नारायण
●मालगुड़ी डेज ~आर. के. नारायण
●गाइड ~आर. के. नारायण
●माइ डेज ~आर. के. नारायण
●नेचर क्योर ~ मोरारजी देसाई
●चन्द्रकान्ता ~देवकीनन्दन खत्री
●देवदास ~शरतचन्द्र चटोपाध्याय
●चरित्रहीन ~शरतचन्द्र चटोपाध्याय..

भज गोविन्दम् गोविन्दं भज मूढ़मते

भज गोविन्दम् गोविन्दं भज मूढ़मते
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भज गोविन्दं भज गोविन्दं,
गोविन्दं भज मूढ़मते।
संप्राप्ते सन्निहिते काले,
न हि न हि रक्षति डुकृञ् करणे ॥१॥

हे मोह से ग्रसित बुद्धि वाले मित्र, गोविंद को भजो, गोविन्द का नाम लो, गोविन्द से प्रेम करो क्योंकि मृत्यु के समय व्याकरण के नियम याद रखने से आपकी रक्षा नहीं हो सकती है ॥१॥

मूढ़ जहीहि धनागमतृष्णाम्,
कुरु सद्बुद्धिमं मनसि वितृष्णाम्।
यल्लभसे निजकर्मोपात्तम्,
वित्तं तेन विनोदय चित्तं ॥२॥

हे मोहित बुद्धि! धन एकत्र करने के लोभ को त्यागो। अपने मन से इन समस्त कामनाओं का त्याग करो। सत्यता के पथ का अनुसरण करो, अपने परिश्रम से जो धन प्राप्त हो उससे ही अपने मन को प्रसन्न रखो ॥२॥

नारीस्तनभरनाभीदेशम्,
दृष्ट्वा मागा मोहावेशम्।
एतन्मान्सवसादिविकारम्,
मनसि विचिन्तय वारं वारम् ॥३॥

स्त्री शरीर पर मोहित होकर आसक्त मत हो। अपने मन में निरंतर स्मरण करो कि ये मांस-वसा आदि के विकार के अतिरिक्त कुछ और नहीं हैं ॥३॥

नलिनीदलगतजलमतितरलम्,
तद्वज्जीवितमतिशयचपलम्।
विद्धि व्याध्यभिमानग्रस्तं,
लोक शोकहतं च समस्तम् ॥४॥

जीवन कमल-पत्र पर पड़ी हुई पानी की बूंदों के समान अनिश्चित एवं अल्प (क्षणभंगुर) है। यह समझ लो कि समस्त विश्व रोग, अहंकार और दु:ख में डूबा हुआ है ॥४॥

यावद्वित्तोपार्जनसक्त:,
तावन्निजपरिवारो रक्तः।
पश्चाज्जीवति जर्जरदेहे,
वार्तां कोऽपि न पृच्छति गेहे ॥५॥

जब तक व्यक्ति धनोपार्जन में समर्थ है, तब तक परिवार में सभी उसके प्रति स्नेह प्रदर्शित करते हैं परन्तु अशक्त हो जाने पर उसे सामान्य बातचीत में भी नहीं पूछा जाता है ॥५॥

यावत्पवनो निवसति देहे,
तावत् पृच्छति कुशलं गेहे।
गतवति वायौ देहापाये,
भार्या बिभ्यति तस्मिन्काये ॥६॥

जब तक शरीर में प्राण रहते हैं तब तक ही लोग कुशल पूछते हैं। शरीर से प्राण वायु के निकलते ही पत्नी भी उस शरीर से डरती है ॥६॥

बालस्तावत् क्रीडासक्तः,
तरुणस्तावत् तरुणीसक्तः।
वृद्धस्तावच्चिन्तासक्तः,
परे ब्रह्मणि कोऽपि न सक्तः ॥७॥

बचपन में खेल में रूचि होती है , युवावस्था में युवा स्त्री के प्रति आकर्षण होता है, वृद्धावस्था में चिंताओं से घिरे रहते हैं पर प्रभु से कोई प्रेम नहीं करता है ॥७॥

का ते कांता कस्ते पुत्रः,
संसारोऽयमतीव विचित्रः।
कस्य त्वं वा कुत अयातः,
तत्त्वं चिन्तय तदिह भ्रातः ॥८॥

कौन तुम्हारी पत्नी है, कौन तुम्हारा पुत्र है, ये संसार अत्यंत विचित्र है, तुम कौन हो, कहाँ से आये हो, बन्धु ! इस बात पर तो पहले विचार कर लो ॥८॥

सत्संगत्वे निस्संगत्वं,
निस्संगत्वे निर्मोहत्वं।
निर्मोहत्वे निश्चलतत्त्वं
निश्चलतत्त्वे जीवन्मुक्तिः ॥९॥

सत्संग से वैराग्य, वैराग्य से विवेक, विवेक से स्थिर तत्त्वज्ञान और तत्त्वज्ञान से मोक्ष की प्राप्ति होती है ॥९॥

वयसि गते कः कामविकारः,
शुष्के नीरे कः कासारः।
क्षीणे वित्ते कः परिवारः,
ज्ञाते तत्त्वे कः संसारः ॥१०॥

आयु बीत जाने के बाद काम भाव नहीं रहता, पानी सूख जाने पर तालाब नहीं रहता, धन चले जाने पर परिवार नहीं रहता और तत्त्व ज्ञान होने के बाद संसार नहीं रहता ॥१०॥

मा कुरु धनजनयौवनगर्वं,
हरति निमेषात्कालः सर्वं।
मायामयमिदमखिलम् हित्वा,
ब्रह्मपदम् त्वं प्रविश विदित्वा ॥११॥ 

धन, शक्ति और यौवन पर गर्व मत करो, समय क्षण भर में इनको नष्ट कर देता है| इस विश्व को माया से घिरा हुआ जान कर तुम ब्रह्म पद में प्रवेश करो ॥११॥

दिनयामिन्यौ सायं प्रातः,
शिशिरवसन्तौ पुनरायातः।
कालः क्रीडति गच्छत्यायुस्तदपि
न मुन्च्त्याशावायुः ॥१२॥ 

दिन और रात, शाम और सुबह, सर्दी और बसंत बार-बार आते-जाते रहते है काल की इस क्रीडा के साथ जीवन नष्ट होता रहता है पर इच्छाओ का अंत कभी नहीं होता है ॥१२॥

द्वादशमंजरिकाभिरशेषः
कथितो वैयाकरणस्यैषः।
उपदेशोऽभूद्विद्यानिपुणैः, श्रीमच्छंकरभगवच्चरणैः ॥१२॥

बारह गीतों का ये पुष्पहार, सर्वज्ञ प्रभुपाद श्री शंकराचार्य द्वारा एक वैयाकरण को प्रदान किया गया ॥१२॥

काते कान्ता धन गतचिन्ता,
वातुल किं तव नास्ति नियन्ता।
त्रिजगति सज्जनसं गतिरैका,
भवति भवार्णवतरणे नौका ॥१३॥

तुम्हें पत्नी और धन की इतनी चिंता क्यों है, क्या उनका कोई नियंत्रक नहीं है| तीनों लोकों में केवल सज्जनों का साथ ही इस भवसागर से पार जाने की नौका है ॥१३॥

जटिलो मुण्डी लुञ्छितकेशः,
काषायाम्बरबहुकृतवेषः।
पश्यन्नपि च न पश्यति मूढः,
उदरनिमित्तं बहुकृतवेषः ॥१४॥

बड़ी जटाएं, केश रहित सिर, बिखरे बाल , काषाय (भगवा) वस्त्र और भांति भांति के वेश ये सब अपना पेट भरने के लिए ही धारण किये जाते हैं, अरे मोहित मनुष्य तुम इसको देख कर भी क्यों नहीं देख पाते हो ॥१४॥

अङ्गं गलितं पलितं मुण्डं,
दशनविहीनं जतं तुण्डम्।
वृद्धो याति गृहीत्वा दण्डं,
तदपि न मुञ्चत्याशापिण्डम् ॥१५॥

क्षीण अंगों, पके हुए बालों, दांतों से रहित मुख और हाथ में दंड लेकर चलने वाला वृद्ध भी आशा-पाश से बंधा रहता है ॥१५॥

अग्रे वह्निः पृष्ठेभानुः,
रात्रौ चुबुकसमर्पितजानुः।
करतलभिक्षस्तरुतलवासः,
तदपि न मुञ्चत्याशापाशः ॥१६॥

सूर्यास्त के बाद, रात्रि में आग जला कर और घुटनों में सर छिपाकर सर्दी बचाने वाला, हाथ में भिक्षा का अन्न खाने वाला, पेड़ के नीचे रहने वाला भी अपनी इच्छाओं के बंधन को छोड़ नहीं पाता है ॥१६॥

भगवद् गीता किञ्चिदधीता,
गङ्गा जललव कणिकापीता।
सकृदपि येन मुरारि समर्चा,
क्रियते तस्य यमेन न चर्चा ॥२०॥

जिन्होंने भगवदगीता का थोडा सा भी अध्ययन किया है, भक्ति रूपी गंगा जल का कण भर भी पिया है, भगवान कृष्ण की एक बार भी समुचित प्रकार से पूजा की है, यम के द्वारा उनकी चर्चा नहीं की जाती है ॥२०॥

पुनरपि जननं पुनरपि मरणं,
पुनरपि जननी जठरे शयनम्।
इह संसारे बहुदुस्तारे,
कृपयाऽपारे पाहि मुरारे ॥२१॥

बार-बार जन्म, बार-बार मृत्यु, बार-बार माँ के गर्भ में शयन, इस संसार से पार जा पाना बहुत कठिन है, हे कृष्ण कृपा करके मेरी इससे रक्षा करें ॥२१॥

रथ्या चर्पट विरचित कन्थः,
पुण्यापुण्य विवर्जित पन्थः।
योगी योगनियोजित चित्तो,
रमते बालोन्मत्तवदेव ॥२२॥

रथ के नीचे आने से फटे हुए कपडे पहनने वाले, पुण्य और पाप से रहित पथ पर चलने वाले, योग में अपने चित्त को लगाने वाले योगी, बालक के समान आनंद में रहते हैं ॥२२॥

कस्त्वं कोऽहं कुत आयातः,
का मे जननी को मे तातः।
इति परिभावय सर्वमसारम्,
विश्वं त्यक्त्वा स्वप्न विचारम् ॥२३॥

तुम कौन हो, मैं कौन हूँ, कहाँ से आया हूँ, मेरी माँ कौन है, मेरा पिता कौन है? सब प्रकार से इस विश्व को असार समझ कर इसको एक स्वप्न के समान त्याग दो ॥२३॥

त्वयि मयि चान्यत्रैको विष्णुः,
व्यर्थं कुप्यसि मय्यसहिष्णुः।
भव समचित्तः सर्वत्र त्वं,
वाञ्छस्यचिराद्यदि विष्णुत्वम् ॥२४॥

तुममें, मुझमें और अन्यत्र भी सर्वव्यापक विष्णु ही हैं, तुम व्यर्थ ही क्रोध करते हो, यदि तुम शाश्वत विष्णु पद को प्राप्त करना चाहते हो तो सर्वत्र समान चित्त वाले हो जाओ ॥२४॥

शत्रौ मित्रे पुत्रे बन्धौ,
मा कुरु यत्नं विग्रहसन्धौ।
सर्वस्मिन्नपि पश्यात्मानं,
सर्वत्रोत्सृज भेदाज्ञानम् ॥२५॥

शत्रु, मित्र, पुत्र, बन्धु-बांधवों से प्रेम और द्वेष मत करो, सबमें अपने आप को ही देखो, इस प्रकार सर्वत्र ही भेद रूपी अज्ञान को त्याग दो ॥२५॥

कामं क्रोधं लोभं मोहं,
त्यक्त्वाऽत्मानं भावय कोऽहम्।
आत्मज्ञान विहीना मूढाः,
ते पच्यन्ते नरकनिगूढाः ॥२६॥

काम, क्रोध, लोभ, मोह को छोड़ कर, स्वयं में स्थित होकर विचार करो कि मैं कौन हूँ, जो आत्म- ज्ञान से रहित मोहित व्यक्ति हैं वो बार-बार छिपे हुए इस संसार रूपी नरक में पड़ते हैं ॥२६॥

गेयं गीता नाम सहस्रं,
ध्येयं श्रीपति रूपमजस्रम्।
नेयं सज्जन सङ्गे चित्तं,
देयं दीनजनाय च वित्तम् ॥२७॥

भगवान विष्णु के सहस्त्र नामों को गाते हुए उनके सुन्दर रूप का अनवरत ध्यान करो, सज्जनों के संग में अपने मन को लगाओ और गरीबों की अपने धन से सेवा करो ॥२७॥

सुखतः क्रियते रामाभोगः,
पश्चाद्धन्त शरीरे रोगः।
यद्यपि लोके मरणं शरणं,
तदपि न मुञ्चति पापाचरणम् ॥२८॥

सुख के लिए लोग आनंद-भोग करते हैं जिसके बाद इस शरीर में रोग हो जाते हैं। यद्यपि इस पृथ्वी पर सबका मरण सुनिश्चित है फिर भी लोग पापमय आचरण को नहीं छोड़ते हैं ॥२८॥

अर्थंमनर्थम् भावय नित्यं,
नास्ति ततः सुखलेशः सत्यम्।
पुत्रादपि धनभजाम् भीतिः,
सर्वत्रैषा विहिता रीतिः ॥२९॥

धन अकल्याणकारी है और इससे जरा सा भी सुख नहीं मिल सकता है, ऐसा विचार प्रतिदिन करना चाहिए | धनवान व्यक्ति तो अपने पुत्रों से भी डरते हैं ऐसा सबको पता ही है ॥२९॥

प्राणायामं प्रत्याहारं,
नित्यानित्य विवेकविचारम्।
जाप्यसमेत समाधिविधानं,
कुर्ववधानं महदवधानम् ॥३०॥

प्राणायाम, उचित आहार, नित्य इस संसार की अनित्यता का विवेक पूर्वक विचार करो, प्रेम से प्रभु-नाम का जाप करते हुए समाधि में ध्यान दो, बहुत ध्यान दो ॥३०॥

गुरुचरणाम्बुज निर्भर भक्तः,
संसारादचिराद्भव मुक्तः।
सेन्द्रियमानस नियमादेवं,
द्रक्ष्यसि निज हृदयस्थं देवम् ॥३१॥

गुरु के चरण कमलों का ही आश्रय मानने वाले भक्त बनकर सदैव के लिए इस संसार में आवागमन से मुक्त हो जाओ, इस प्रकार मन एवं इन्द्रियों का निग्रह कर अपने हृदय में विराजमान प्रभु के दर्शन करो ॥३१॥

मूढः कश्चन वैयाकरणो,
डुकृञ्करणाध्ययन धुरिणः।
श्रीमच्छम्कर भगवच्छिष्यै,
बोधित आसिच्छोधितकरणः ॥३२॥

इस प्रकार व्याकरण के नियमों को कंठस्थ करते हुए किसी मोहित वैयाकरण के माध्यम से बुद्धिमान श्री भगवान शंकर के शिष्य बोध प्राप्त करने के लिए प्रेरित किये गए ॥३२॥

भजगोविन्दं भजगोविन्दं,
गोविन्दं भजमूढमते।
नामस्मरणादन्यमुपायं,
नहि पश्यामो भवतरणे ॥३३॥

गोविंद को भजो, गोविन्द का नाम लो, गोविन्द से प्रेम करो क्योंकि भगवान के नाम जप के अतिरिक्त इस भव-सागर से पार जाने का अन्य कोई मार्ग नहीं है ॥३३॥